नूरूल इस्लाम
*कासगंज-* धर्मगुरुओं और प्रशासन ने भी लोगों से मुहर्रम गम का त्योहार घर पर ही कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए मनाए जाने की अपील की है। जिले भर में माहे मोहर्रम की सात,आठ और नो तारीख को शहीदाने करबला की याद में घर घर कुरानख्वानी, फातहांख्वानी और मजलिसों का दौर चला लोगों द्वारा बनाई गईं मेंहदी सरकारी गाइड लाइन के अनुसार घरों में ही रखी गईं। न्याज कराने वाले जायरीनों ने शोसल डिस्टेंस का पालन करते हुए अपनी अकीदतो मोहब्बत का पैगाम दिया।जगह जगह पुलिस कर्मी तैनात रहे। जनपद कासगंज के कस्बा सहावर के ताजिये मशहूर हैं सहावर के ताजियों को देखने के लिए दूर दराज कस्बो,गांव, शहर से काफी तादाद में लोग आते थे क्योंकि आज रात भर कस्बे में सारे ताजिये गश्त करते थे आज पूरे कस्बे में सन्नाटा है सहावर के ताजिये बनाने वालों की कारीगरी की चर्चाएं होती थीं पिछली साल सहावर के मोहल्ला काजी के ताजिये की तारीफ सोशल मीडिया पर छाई रही क्योंकि यह ताजिया तिरंगा झंडे का रूप देकर बनाया था लोगों ने इस ताजिये की तारीफ की और सोशल मीडिया काफी दिनों तक छाया रहा मोहर्रम पर देश भक्ति नजर आई इस ताजिये को तिरंगा में बनाकर देश की एकता का परिचय दिया।
देशभर में कोरोना महामारी को देखते हुए मोहर्रम पर ताजिये के जुलूस नहीं निकले और न ही सड़कों पर मातम हुआ।कोबिड 19 कोरोना के चलते मोहर्रम,रमजान,ईद, बकरीद सभी त्योहारों पर बंदिशें रहीं, सभी त्योहारों में होने वाले रिवाजों में भी बदलाव दिखा वहीं कोरोना काल की वजह से त्योहारों में कई सौ सालों की परंपराएं भी टूटीं।रमजान के महीने में भी परंपरा टूटी कि मस्जिदें भी बंद हो गईं, नमाज नहीं हो सकी ईद उल फितर और ईद उल अजहा पर भी ईदगाह और मस्जिदों में खामोशी रही।अब ताजियों पर सरकार की पाबंदी रही क्योंकि ताजिया निकलते हैं तो साथ में भीड़ होती है और इस बक्त कोरोना बीमारी से रोजाना रिकॉर्ड टूट रहे हैं। कहीं भीड़ से ये बीमारी न फैले।इस बार कोरोना की बजह से ताजिये कस्बा व शहरों में भृमण नही कर सके।