संजय सिंह
लखनऊ, 30 सितम्बर (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा ढांचा विध्वंस पर दिए गए फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि षड्यंत्र के लिए जिम्मेदार लोग देश की जनता से माफी मांगें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्यमेव जयते के अनुरूप सत्य की जीत हुई है। यह फैसला स्पष्ट करता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर वोट बैंक की राजनीति के लिए देश के पूज्य संतों भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, विश्व हिंदू परिषद से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों को बदनाम करने की नीयत से उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर बदनाम किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस षड्यंत्र के लिए जिम्मेदार लोग देश की जनता से माफी मांगें।
अयोध्या में छह दिसम्बर 1992 को ढहाए गए विवादित ढांचे के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया। इस मुकदमे में 49 लोग आरोपित बनाए गए थे। इनमें से 17 की मौत हो चुकी है और बचे हुए 32 आरोपितों पर फैसला सुनाया गया। कोर्ट में फैसला सुनाने की प्रक्रिया शुरू करते हुए जज ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। यह आकस्मिक घटना थी। घटना के प्रबल साक्ष्य नही हैं। कुछ शरारती तत्वों ने इस कार्य को अंजाम दिया था।
कोर्ट ने कहा कि घटना के दिन दोपहर 12 बजे तक तक कार सेवा शान्तिपूर्ण तरीके से चल रही थी। कोई हिंसा नहीं हुई। इसके बाद भीड़ अनियंत्रित हुई। वहीं अदालत में जो साक्ष्य पेश किए गए, उससे भी कोर्ट सन्तुष्ट नहीं दिखा। इसमें विध्वंस की फोटो के निगेटिव नहीं दिए गए, जिससे उसकी प्रमाणिकता साबित हो सके। अखबारों की भी सिर्फ कटिंग का ही हवाला दिया गया। इसी तरह गवाहों ने भी इसे षड्यंत्र नहीं माना। ऐसे में आरोपितों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले।
हिन्दुस्थान समाचारकी जनता से माफी मांगें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्यमेव जयते के अनुरूप सत्य की जीत हुई है। यह फैसला स्पष्ट करता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर वोट बैंक की राजनीति के लिए देश के पूज्य संतों भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, विश्व हिंदू परिषद से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों को बदनाम करने की नीयत से उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर बदनाम किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस षड्यंत्र के लिए जिम्मेदार लोग देश की जनता से माफी मांगें।
अयोध्या में छह दिसम्बर 1992 को ढहाए गए विवादित ढांचे के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया। इस मुकदमे में 49 लोग आरोपित बनाए गए थे। इनमें से 17 की मौत हो चुकी है और बचे हुए 32 आरोपितों पर फैसला सुनाया गया। कोर्ट में फैसला सुनाने की प्रक्रिया शुरू करते हुए जज ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। यह आकस्मिक घटना थी। घटना के प्रबल साक्ष्य नही हैं। कुछ शरारती तत्वों ने इस कार्य को अंजाम दिया था।
कोर्ट ने कहा कि घटना के दिन दोपहर 12 बजे तक तक कार सेवा शान्तिपूर्ण तरीके से चल रही थी। कोई हिंसा नहीं हुई। इसके बाद भीड़ अनियंत्रित हुई। वहीं अदालत में जो साक्ष्य पेश किए गए, उससे भी कोर्ट सन्तुष्ट नहीं दिखा। इसमें विध्वंस की फोटो के निगेटिव नहीं दिए गए, जिससे उसकी प्रमाणिकता साबित हो सके। अखबारों की भी सिर्फ कटिंग का ही हवाला दिया गया। इसी तरह गवाहों ने भी इसे षड्यंत्र नहीं माना। ऐसे में आरोपितों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले।
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