भारतवर्ष में सदियों से आपके मन की भावना को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाने का काम फिल्म मैंने प्यार किया कि इस गाने की तरह होता था कबूतर जा जा पहले प्यार की पहली चिट्ठी साजन को दे आद्यसमय के साथ भारतवर्ष में भी संचार के माध्यम में भी बदलाव किया गयाद्यवर्ष 1766 में डाक विभाग के माध्यम से संचार व्यवस्था की शुरुआत की गई ।भारत में डाक विभाग के रूप में इसकी स्थापना 1 अक्टूबर 1854 को हुई एवारेन हेस्टिंग्स ने कोलकाता में प्रथम डाकघर वर्ष 1774 को स्थापित किया।भारत में सन 1852 में प्रथम बार चिट्ठी पर डाक टिकट लगाने की शुरुआत हुई तथा महारानी विक्टोरिया के चित्र वाला डाक टिकट 1 अक्टूबर सन 1854 को जारी किया गया।भारत में डाक दिवस 10 अक्तूबर को मनाया जाता है।ध्यान रहे विश्व डाक दिवस 9 अक्तूबर होता है ।भारतीय डाक विभाग भी 9 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक विश्व डाक दिवस बहुत धूम धाम से मनाता हैद्य
डाक दिवस मनाने का उद्देश्य है कि ग्राहकों को अपने बढ़ते हुए कदम की जानकारी देना। डाक दिवस पर बेहतर काम करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत भी किया जाता है।ग्राहकों का भी शुक्रिया अदा किया जाता हैद्य
वर्तमान में भारतीय डाक विभाग की 166 वर्षों से पुरानी इस संस्था में लाखों पोस्ट ऑफिस और पत्र पेटियाँ हैए जो समस्त नागरिकों को उनकी ज़रूरत की अपनी सेवाएं प्रदान करता है। मोबाइल और इंटरनेट के युग में भले ही चिट्ठियों का वजूद कम हो गया हैए लेकिन डाक घरों की व्यस्तताएं और बढ़ गई हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि अब जज्बात के साथ तमाम सरकारी एगैर सरकारी एआर्थिक व व्यापारिक ट्रेलर मेड पाँच दर्जन से ज़्यादा सेवा देकर हर क्षेत्र में अपनी पेठ बनाऐ रखने में क़यामब हैंद्य भारत ने भी दुनिया भर के डाक व्यवस्थाओं मैं मौजूदा व्यवस्थाएं और सेवाओं में ना केवल सुधार किया है बल्कि खुद भी नई तकनीकी सेवाओं के साथ 24 कैरेट गोल्ड की तरह बेहतर सेवा दे रहा है ।डाक विभाग भी दूसरे उपक्रमों की तरह ना तो नई भर्ती कर रही है और पुराने कर्मचारियों को रिटायरमेंट की सुविधा भी दे रही हैद्य ऐसे में लाजमी है की पोस्ट डाक विभाग अपने तमाम कार्यालय न केवल बंद कर रहे हैं बल्कि उन्हें दूसरे कार्यालय में मर्ज कर रहे हैंद्य टेलेग्रैफ कार्यालय तो सभी बंद हो गये है हर 500 मीटर दूर पत्र पेटी ;समजजमत बॉक्स द्धदिख जाती थी अब दूर दूर तक नही दिखते है ।
डाक विभाग ने समय समय पर इतिहास एहेरिटिजए महापुरुष ए पर्यावरण एआदि कोइ भी विषय नहीं है जिस पर बहुरंगी डाक टिकट निकाली है द्य भारत में अब तक का सबसे बड़ा डाक टिकट पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर 20 अगस्त सन 1991 को जारी किया गया था।
कोविड.19 दुनिया भर की महामारी में विश्व पोस्टल सर्विस ने भी कोविड वारियर्स के रूप में काम किया और इन्होंने छोटे छोटी जगह पर लोगों को बहुत सारी जरूरतों को ना केवल पूरा किया बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन किया हैद्य विश्व में आज भी किसी ईमानदार और अनुशासित विभाग का नाम लेना हो तो डाक सेवा प्रथम पंक्ति में आता है ।मैं आज सभी विश्व के डाक विभाग के कर्मचारियों को बहुत.बहुत बधाई देता हूं कि जितना जिम्मेदारी मेहनत का यह काम है उस हिसाब से आपको समाज उतने ही इज्जत के निगाह से देखता आया है और देखता रहेगा ।
राजीव गुप्ता जनस्नेही की कलम से
लोक स्वर आगरा