राजनीति

बहुजन समाज पार्टी के 7 विधायक निलंबित

मायावती बोलीं- सपा को हराने के लिए बीजेपी प्रत्याशी या किसी अन्य पार्टी के प्रत्याशी को ही वोट क्यों न देना पड़े, हम देंगे

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में राजनीती चरम पर है, राज्यसभा चुनाव में अपने  प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टियाँ निरन्तर कोशिश कर रही है, इस चुनाव में प्रत्येक विधायक क़ीमती है, चुनाव में बसपा में बगावत सामने आने के बाद से सियासत गरमाई हुई है. राज्यसभा चुनाव में बगावत करने वाले सात विधायकों को बहुजन समाज पार्टी ने निलंबित कर दिया है. पार्टी ने विधायक असलम राइनी ( भिनगा-श्रावस्ती), असलम अली (ढोलाना-हापुड़), मुजतबा सिद्दीकी (प्रतापपुर-इलाहाबाद), हाकिम लाल बिंद (हांडिया- प्रयागराज) , हरगोविंद भार्गव (सिधौली-सीतापुर), सुषमा पटेल( मुंगरा बादशाहपुर) और वंदना सिंह -( सगड़ी-आजमगढ़) को पार्टी से निलंबित किया गया है.पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने विधायकों के का ऐलान किया.
गौरतलब हो कि बहुजन समाज पार्टी के सात विधायक बागी हो गए और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के खेमे में चले गए. इसके बाद पार्टी बैकफुट पर आ गई लेकिन उसने अपने प्रत्याशी का नामांकन किसी तरह बचा लिया और अब उसका निर्विरोध राज्यसभा जाना तय हो गया है. इस के बाद पार्टी सुप्रीमो मायावती ने इस ऐलान किया है कि भविष्य में होने वाले किसी भी एम एल सी चुनाव में बहुजन समाज पार्टी समाजवादी पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ ही वोट करेगी, चाहे उसे बी जे पी या अन्य किसी पार्टी का ही समर्थन क्यों न करना पड़े. मायावती ने साथ ही साथ लोकसभा चुनाव के दौरान हुए सपा बसपा गठबंधन के कदम को भी बड़ी गलती कहा है.
मायावती ने कहा है कि हमारी पार्टी ने कम्युनल फोर्सेज से लड़ने के लिए लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के साथ हाथ मिलाया था. लेकिन उनकी पारिवारिक कलह के चलते वो बसपा के साथ गठबंधन से ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर सके. चुनाव के बाद उन्होंने हमें तबज्जो देना बंद कर दिया और हमने उनसे अलग होने का फैसला किया.
मायावती ने कहा कि मैं ये बताना चाहती हूं कि जब हमने सपा के साथ लोकसभा चुनाव में उतरने का फैसला किया. हमने इस पर काफी मेहनत की लेकिन पहले दिन से ही हमारे गठबंधन के सपा चीफ एस सी मिश्रा से कहते रहे कि जब बसपा और सपा ने हाथ मिला ही लिया है, उन्हें जून 1995 का केस वापस ले लेना चाहिए.
जब हमने लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद समाजवादी पार्टी का बर्ताव हमारी तरफ देखा तो हमें महसूस हुआ कि उनके खिलाफ 2 जून 1995 का केस वापस लेने में हमने बड़ी गलती कर दी है. हमें उनके साथ हाथ नहीं मिलाना चाहिए था. इस पर हमें और गहनता से सोचना चाहिए था.
मायावती ने कहा कि हमने फैसला किया है कि यूपी में भविष्य में होने वाले विधानपरिषद चुनावों में सपा प्रत्याशी को हराने के लिए हम पूरी ताकत झोंकेंगे, चाहे हमें बीजेपी प्रत्याशी या किसी अन्य पार्टी के प्रत्याशी को ही वोट क्यों न देना पड़े, हम देंगे