नूरुल इस्लाम
कासगंज -गांधी परिवार के खास कहे जाने वाले मुशीर अहमद खान का जन्म जनपद एटा के सहावर कस्बे में 24 नवम्बर 1921 को हुआ,उनके पिता का नाम शब्बीर अहमद खान व उनकी माता का नाम अबीदा खान था,अलीगढ़ से पढ़ाई पूरी करने के बाद मुशीर अहमद खान राजनीति में आ गये और पहली बार मे ही सहावर में नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव 1949 में जीत गये, चुनाव जीतने के बाद वह जनता की नजरों में खरे उतरे,इसी दौरान उन्हें कांग्रेस में जाने का मौका मिला और उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया,उनको पहलीं बार 1966 में एटा लोकसभा से कांग्रेस से टिकट मिला जिसमे उन्होंने भारी मतों से जीत हांसिल की ,
लोगों ने बताया एक बार पार्लियामेंट में एक सांसद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर किसी ने तंज कसा एटा लोकसभा के तत्कालीन सांसद मुशीर अहमद खान को यह अच्छा नही लगा और उस सांसद से पार्लियामेंट में ही सांसद मुशीर अहमद खान भिड़ गए इस घटना के बाद से वह धीरे धीरे गांधी परिवार के चहेते होते चल गये,एटा के सांसद मुशीर अहमद खान को इंदिरा गांधी का दाहिना हाथ भी कहा जाता था,
दूसरी बार वह 1980 में सांसद चुने गए इसी दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनके घर सहावर भी पहुंची,बताया जाता है एटा से सहावर आने वाले मार्ग पर अमापुर के पास एक काली नदी है जिस पर उस वक़्त ढोलों का पुल था, मजबूरन इंदिरा गांधी के गाड़ियों का काफिला काली नदी के उधर ही रुक गया और बैलगाड़ी से बैठकर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 15 किलोमीटर सहावर आईं, इंदिरा गांधी ने उस वक़्त ही पुल को बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया,कुछ समय बाद ही पुल बनवाने का काम शुरू कर दिया गया गया, और 1985 में यह पुल बनकर तैयार हो गया,
इसी बीच एक पारिवारिक झगड़े की वजह से 28 अगस्त 1997 को उन्हें जेल भी जाना पड़ा था और 1998 में इस पुल का उदघाटन तत्कालीन सिंचाई मंत्री ओमप्रकाश ने किया था,राजनीति के दौरान उन्होंने कई लोगों को राजनीति से भी जोड़ा ,जिसमे पूर्व मंत्री मानपाल सिंह,व विधायक वीरेंद्र सिंह सोलंकी भी शामिल हैं,उनकी लड़कीं की शादी में भी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी शरीक हुईं थीं, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेहद खास होने की वजह से उन पर कांग्रेस के कई बड़े पद भी रहे थे,
35 साल लगातार मुशीर अहमद खान कांग्रेस पार्टी से एटा के जिलाध्यक्ष रहे थे,जिला पंचायत अध्यक्ष पद के अलावा मॉर्डन बेकरी के चैयरमेन भी रहे।
सहावर से एटा रोड पर बना नदी का पुल और सहावर में समुदायक स्वास्थ्य केंद्र भी मुशीर अहमद खान की ही देन है ,17 सितंबर 1999 में एक बीमारी के चलते उनका निधन हो गया,कांग्रेस पार्टी में और एटा लोकसभा में निधन की खबर आते ही शोक की लहर दौड़ पड़ी,उनके निधन के बाद एटा लोकसभा से कोई भी मुस्लिम चेहरा आज तक राजनीति में इतनी चमक नही बना पाया और नही कोई मुस्लिम सांसद आजादी के बाद एटा लोकसभा से मुशीर अहमद के बाद चुना गया।