चेन्नई के वैक्सीन वॉलंटियर ने साइड इफेक्ट्स को लेकर उठाए सवाल
नई दिल्ली। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविडशील्ड वैक्सीन पर चल रहा ट्रायल विवादों के घेरे में आ गया है। चेन्नई में इस वैक्सीन वॉलंटियर ने इसके लगाए जाने के बाद गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या पेश आने की शिकायत की है। इस मामले पर स्थिति स्पष्ट करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि किसी भी दवा और टीके का साइड इफेक्ट्स होता है। इस संबंध में नियमों के अनुसार डेटा जमा कर उसकी जांच की जाती है।
मंत्रालय ने कहा कि इस घटना से वैक्सीन के विकास की प्रगति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। नियमों के अनुसार कोई भी ट्रायल करने से पहले व्यक्ति की सहमति लिखित में ली जाती है। फार्म में सभी तरह के असर के बारे में बताया जाता है। दुनिया भर में इसी तरह का प्रावधान है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बताया कि वैक्सीन के विकास व उसके उत्पादन के लिए विस्तृत नियम तैयार किए गए हैं। नियमों के अनुसार ही सभी वैक्सीन कंपनियां कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल कर रहे हैं। वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स होने की घटना पर नियामक संस्थाएं पूरी जांच करती हैं। चेन्नई का मामला अब अदालत में है, इसलिए इस पर कोई टिप्पणी करना ठीक नहीं है।
क्या कहती है सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (सीआईआई)
कोरोना वायरस का टीका बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (सीआईआई) ने कहा कि वैक्सीन कोविडशील्ड पूरी तरह से सुरक्षित और इम्युनोजेनिक बताया है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने सफाई दी कि वैक्सीन की वजह से चेन्नई के वॉलंटियर के साथ कोई हादसा नहीं हुआ। ट्रायल में सभी विनियामक और नैतिक प्रक्रियाओं और दिशा-निर्देशों का पालन किया गया। प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, डीएसएमबी और एथिक्स कमेटी ने कहा कि टीके के परीक्षण का उसकी स्थिति के साथ कोई संबंध नहीं है। कंपनी ने आगे कहा कि कंपनी की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए कानूनी नोटिस भेजा गया, जिसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के संभावित टीके कोविडशील्ड के परीक्षण में शामिल एक व्यक्ति ने सीरम पर आरोप लगाया था कि उसकी वैक्सीन की वजह से उसे गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ा।