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राजनारायन संघर्ष की जीती जागती तारीख थे, सैय्यद शहनवाज अहमद कादरी

 

लखनऊ। लोकबन्धु राजनारायण की 34 वीं पुण्यतिथि पर लोकबन्धु नारायण ट्रस्ट के लोग’’ के अन्तर्गत एक समारोह स्थानीय लोकबन्धु संयुक्त अस्पताल बरिगवां आशियाना, एल.डी.ए.कालोनी कानपुर रोड, लखनऊ के कैम्पस में हुआ। समारोह की अध्यक्षता लोक बन्धु राजनारायण ट्रस्ट के लोग के संयोजक सैय्यद शाहनवाज अहमद कादरी ने की। संचालन वरिष्ठ पत्रकार अनिल त्रिपाठी, मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री माननीय शरदा प्रताप शुक्ला, विशिष्ठ अतिथि राजनाथ शर्मा शामिल हुए।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में सैय्यद शाहनवाज अहमद कादरी ने कहा कि लोकबन्धु राजनारायण समाजवाद के अलमबरदार थे। इस दौर में अगर वास्तविक तौर से किसी की आवश्यकता थी तो वो राजनारायण ही थे। राजनारायण अगर होते तो देश में तानाशाही पनप नहीं सकती थी।
सैय्यद शहनवाज अहमद कादरी ने कहा कि राजनारायण की सादगी का आलम यह था कि उन्हांेने अपनी निजी सम्पत्ति का 200 बीघा भूमि किसानों में बांट दिया। जिसकी वजह के उनका परिवार परेशानी में गुजर-बसर करने पर मजबूर हो गया। आज देश के किसानों की हालात किसी से छुपी नहीं है। इतनी जबरदस्त कठाके के सर्दी में वह अपने अधिकार के लिए लड़ रहे है।
आज अगर वह जीवित होते तो किसान आन्दोलन के आगे सरकार को छुकना पड़ता।
सभा की अध्यक्षता कर रहे राजनाराण ट्रस्ट के लोग के अध्यक्ष शाहनवाज कादरी ने कहा कि स्व. राजनारायण ने हमेश देश व समाज को जोड़ने का काम किया। वज जाति जोड़ो, नारी पुरूष समानता लाओ, काशी विश्वनाथ मंदिर में दलितों के प्रवेश, लगान माफी, समान शिक्षा नीति, लोक भाषा और लोक भूषा के पक्षधर थे। उनका जीवन ही समाज के अन्तिम शोशित व पीड़ित व्यक्ति की लड़ाई प्रति समर्पित था। वह भारतीय समाजवादी आन्दोलन के कबीर कहे जाते थे।
इस मौके पर पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला एवं समाजवादी चिंतक राजनथ शर्मा को लोकबन्धु राजनरायण स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। इस मौके पर स्व. लोकबंधु राजनारायण के चित्र पर माल्र्यापण कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके संघर्षो को आत्मसात किया गया।
सभा के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला ने कहा कि स्व. राजनारायण डाॅ. राममनोहर लोहिया की परम्परा के अंतिम व्यक्ति थे। वह डाॅ. लोहिया की रीति और नीति दोनों के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने सत्याग्रह और आन्दोलनों से देश में समाजवाद की नई पहल की शुरूआत की। उनका नारा था कि मारेंगे नहीं, पर मानेंगे नहीं। समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा ने कहा कि स्व. राजनारायण का साहस पूरे देश में तानाशाही ताकतों के खिलाफ प्रेरणादायी सिद्ध हुआ। अपनी सैद्वांतिक समझदारी पर लोकतांत्रिक निष्ठा के बल पर जनता ने उन्हें नेताजी के खिताब से नवाजा। स्व. राजनारायण एक साहसी जनसेवक और समाजवादी आन्दोलन के महानायक थे। जिनका संघर्ष आज भी युवाओं को प्रेरणा देता है।
सभा का संचालन कर रहे लोकतंत्र सेनानी अनिल त्रिपाठी ने कहा कि राजनारायण ने छात्र जीवन से ही राजराज्य की परिकल्पना पर कार्य किया। जिसमें शोषण मुक्त समाज और अभाव मुक्त समाज शामिल था।
इस मौके पर प्रमुख रूप से विनीत यादव, पार्षद कमलेश सिंह, कौशलेन्द्र द्विवेदी, आर्थो सर्जन डाॅ. अहिरवार, सीएमएस अमिता यादव, वरिष्ठ पत्रकार सतीश प्रधान, रोहित मिश्रा, डाॅ. नरेन्द्र अग्रवाल, पूर्व सीएमओ, जगदीश सिंह, एडवोकेट पाटेश्वरी प्रसाद, मोहित मिश्रा, संदीप उपाध्याय, राजेेश बालाजी, अजय सिंह, राजवीर यादव, अवधेश यादव, उमेश मिश्रा, अखिल शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार मो. रिजवान खान नदवी, नदीम इकबाल सिद्दीकी, परवेज अंसारी, किफायत उल्ला खा, सीबान अहमद, मो. वसीम, हबीब अहमद आदि लोग मौजूद रहे।