दिल्ली ,दिल्ली के बार्डरों पर संघर्ष कर रहे किसानों के लिए लंगर, टैंट, गीजर और अन्य सहूनतें प्रदान करने के बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अब किसानों के लिए मोबाइल रैन बसेरे बना कर पेश कर दिए हैं। चलते फिरते यह रैन बसेरे जरूरत मुताबिक कहीं भी लेजाए जा सकते हैं। यह रैन बसेरे आज शाम को कमेटी के प्रधान सरदार मनजिन्दर सिंह सिरसा और महासचिव सरदार हरमीत सिंह कालका की तरफ से किसानों हवाले किए गए।
इस बारे मीडिया को जानकारी देते हुए श्री सिरसा ने बताया कि पहले पड़ाव में हम 25 ऐसे मोबाइल रैन बसेरे बना कर दिए हैं जो जरूरत अनुसार कहीं भी लेजाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन बसों में कंबल, चदरें, गद्दे और अन्य समान मुहैया करवाया गया है जिससे किसानों को कड़ाके की ठंड के हालातों से बचाया जा सके।
उन्होंने कहा कि किसान पिछले 41 दिन से दिल्ली के बार्डरों पर बैठे हैं, इन के टैंट और अन्य रैन बसेरे भारी बारिश, धुंध और कड़ाके की ठंड के ओर कारणों करके बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को पेश मुश्किलों को देखते दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने फैसला किया कि मोबाइल रैन बसेरे बनाऐ जाएं। उन्होंने कहा कि हम पहले कुंडली बार्डरों पर यह मोबाइल रैन बसेरे उपलब्ध करवाए हैं और बाद में ज़रूरत अनुसार यह सिंघू और अन्य बार्डरों पर भी उपलब्ध करवाए जाएंगे।
सिरसा ने बताया कि पलिे पड़ाव में हम 25 ऐसे मोबाइल रैन बसेरे तैयार किए हैं, किसानों की जरूरत अनुसार जितनी भी जरूरत पड़ी, हम यह रैन बसेरे उपलब्ध करावांगे। उन्होंने यह भी बताया कि महिलाएं और पुरुषों के लिए अलग-अलग रैन बसेरे तैयार किये गए हैं। उन्होंने कहा कि यह मोबाइल रैन बसेरे सिर्फ सुरक्षित ही नहीं हैं, बल्कि किसानों को कड़ाके की ठंड के इस खराब मौसम की मार से भी बचाएंगे।
इस मौके श्री कालका ने बताया कि दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी का अकेला मंतव्य मानवता ख़ास तौर पर देश के अन्नदाता की सेवा करना है। उन्होंने कहा कि हम इस होंद की लड़ाई में किसानों के डट कर के साथ ठहरे हैं और केंद्र सरकार को भी अपील करते हैं कि वह किसानों की मांगें मान लें और तीन विवादग्रस्त खेती कानून तुरंत रद्द करे।