जीवन शैली

‘द कोविड-19 पेंडेमियोलोजी, मोलिक्युलर बायोलॉजी एंड थेरेपी’ पर पुस्तक प्रकाशित

दिल्ली. कोरोना वायरस 2019 (कोविड-19) महामारी ने विश्व के लगभग हर हिस्से को प्रभावित किया है जिससे लाखों की तादात में जान की हानि हुई है। इन कठिन समय में जबकि पूरी दुनिया को कोविड-19 महामारी ने जकड़ रखा है, डॉ. शमा परवीन द्वारा ‘द कोविड-19 पेंडेमियोलोजी, मोलिक्युलर बायोलॉजी एंड थेरेपी’ ( https://benthambooks.com/book-9789811481871/ ) पर किताब लिखने का विचार पाठकों को कोविड-19 के बारे में व्यापक विवरण प्रदान करने के लिए सही समय पर किया गया प्रयास है।

कोविड-19 के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए पुस्तक को 11 अध्यायों में विभाजित किया गया है, जिसमें रोगज़नक़ (मोर्फोलोजी, जीनोम, प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन जीन एवं रेप्लिकेशन), वैश्विक महामारी विज्ञान, संचरण, जोखिम कारक, नैदानिक अभिव्यक्ति, प्रबंधन, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और रोगजनन जैसे विषय शामिल हैं। इसमें कोविड-19 के निदान, थेराप्युटिक एजेंट (एंटीवायरल और अन्य दवाएं, नेचुरल कंपाउंड) और वेक्सीन का भी वर्णन है।

डॉ. परवीन और उनके शोध समूह द्वारा संकलित यह पुस्तक पीएचडी / एम.एससी छात्रों, अनुसंधान विद्वानों, पोस्ट-डॉक्टरल फेलो और सहयोगियों ने बेंथम साइंस सिंगापुर: विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा (एसटीएम) के प्रकाशक, द्वारा प्रकाशित है और ऑनलाइन भी उपलब्ध है।

डॉ. परवीन, सेंटर फॉर इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च एंड बेसिक साइंसेज, जामिया मिल्लिया इस्लामिया , नई दिल्ली, भारत में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उन्होंने माइक्रोबायोलॉजी विभाग, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स),नई दिल्ली से ‘मोलेक्युलर एपिडेमियोलोजी ऑफ़ रेस्पिरेटरी सिंसिशिअल वायरस में पीएचडी (माइक्रोबायोलॉजी) पूरा किया। वह डेंगू, चिकनगुनिया , जीका , हेपेटाइटिस और रेस्पिरेटरी सिंसिशिअल वायरस और अब सार्स कोव-2 जैसे मानव वायरस के आणविक जीव विज्ञान में नैदानिक और बुनियादी अनुसंधान में भी शामिल हैं ।

नैदानिक अनुसंधान पर उनके शोध कार्य दुनिया भर में वायरल उपभेदों के विश्लेषण से संबंधित है, जो उनके बदलते विकासवादी प्रभाव क्षमता और तद्जनित महामारी विज्ञान पर ध्यान केंद्रित करते हैं। बुनियादी शोध में विभिन्न वायरल प्रोटीनों की क्लोनिंग, अभिव्यक्ति, शुद्धि एवं संरचनात्मक लक्षण वर्णन और संबंधित संभावित अवरोधकों की पहचान शामिल है।

उन्होंने 2000 से अधिक उद्धरणों सहित अंतरराष्ट्रीय ख्याति की पत्रिकाओं में 50 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित किए हैं। उनके महत्वपूर्ण वैज्ञानिक योगदान के लिए उन्हें 2018 में प्रतिष्ठित सईदा बेगम महिला वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया । वह नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज इंडिया (एनएएसआई), इलाहाबाद, भारत की सदस्य भी हैं।