देश विदेश

पाकिस्तान में अता-उल-मुहीमन बुखारी का देहांत

लुधियाना,: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहरार पार्टी के संस्थापक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी के साथी रहे सय्यद अता उल्लाह शाह बुखारी की कुर्बानियां कभी भुलाई नहीं जा सकती है, यह बात आज यहां जामा मस्जिद लुधियाना में आयोजित शोक सभा में सय्यद अता उल्लाह शाह बुखारी के साहिबजादे व मजलिस अहरार पाकिस्तान के वर्तमान अध्यक्ष सय्यद अता उल मुहीमन बुखारी (81) के देहांत पर शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने किया। शाही इमाम ने कहा कि शाह जी का ही परिवार वह पहला खानदान है जिसने पाकिस्तान बनाने की विरोधता की थी और फिर जब उनका शहर पाकिस्तान में आ गया तो कभी भी सरकार के आगे नहीं झुके। शाही इमाम ने कहा कि शाह जी का मेरे दादा मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी (प्रथम) के साथ देश के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान है, यह सब वो स्वतंत्रता सेनानी हैं जिन्होंने ने भारत की आज़ादी के लिए ना सिर्फ जेलें काटी, बल्कि इनके घरों को भी कई-कई बार अंग्रेज़ ने गिरवाया, लेकिन इनके इरादे नहीं बदले। शाही इमाम ने कहा कि सय्यद अता उल मुहीमन बुखारी के देहांत से एक युग का अंत हो गया है, हम दुआ करते हैं कि अल्लाह ताआला जन्नत में उनका स्थान और बड़ा करें व उनकी औलाद को सब्र अता फरमाए। वर्णनयोग है कि आज जामा मस्जिद में मजलिस अहरार इस्लाम हिन्द की ओर से शाह जी के देहांत पर कुरान शरीफ पढ़ा गया और उनके लिए विशेष दुआ करवाई गई। इस अवसर पर नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी, बजमें हबीब के अध्यक्ष गुलाम हसन कैसर, कारी मोहतरम, मुफ्ती जमालुदीन, कारी अब्दुल रहमान, शाहनवाज खान, बाबुल खान, अकरम अली व शाही इमाम पंजाब के मुख्य सचिव मुहम्मद मुस्तकीम अहरारी विशेष रूप से उपस्थित थे।