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नियो नटल टिटनेस को मात देकर बच्चा स्वस्थ

दो साल बाद जनपद में मिला था केस

आगरा।नियो नटल टिटनेस जैसी खतरनाक बीमारी को मात देकर अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हो गया है। फरवरी में जनपद के फतेहाबाद क्षेत्र के धनौला खुर्द की बिलइयां गांव की सुनीता ने बच्चे को जन्म दिया था। वो बच्चा खत्म हो चुकी नियो नटल टिटनेस नमक बीमारी से ग्रसित था। बच्चे को फतेहाबाद के आरके हॉस्पिटल में 7 दिन तक एडमिट रखकर इलाज किया गया।
इसके बाद बच्चे को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया था। बच्चे के पिता बेनीराम ने बताया कि अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है और स्वास्थ्य विभाग द्वारा बच्चे का टीकाकरण भी करा दिया गया है।
गर्भावस्था के दौरान टिटनेस का टीका लगवाना जरूरी
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एसके वर्मन ने बताया कि नियो नटल टिटनेस अब खत्म हो चुका है। अब से पहले 2018 में नियो नटल टिटनेस का केस सामने आया था। डॉ. वर्मन बताते हैं कि नियो नटल टिटनेस से बचाव के लिए गर्भवती महिला के गर्भावस्था के दौरान टिटनेस का टीका लगवाना जरूरी है। यदि गर्भवती अपने टिटनेस का टीका नहीं लगवाती है, तो बच्चे में नियो नटल टिटनेस होने के चांस हो सकते हैं। वे बताते हैं बच्चे को गंदगी के आस-पास रखना इत्यादि से भी ऐसी समस्या हो सकती है। क्योंकि नियो नटल टिटनेस का बैक्टीरिया गंदगी में पनपता है।
फतेहाबाद क्षेत्र के धनौला निवासी सुनीता ने बताया कि उन्होंने गर्भावस्था के दौरान अपने टिटनेस का टीका नहीं लगवाया था। उनके पति बेनीराम ने बताया कि हम इस बारे में जागरुक नहीं थे, इसलिए हमने गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर को नहीं दिखाया। उन्होंने बताया कि बच्चे की डिलीवरी भी घर में ही हो गई थी।

गर्भवती की अस्पताल में डिलीवरी होना जरूरी
गर्भावस्था के दौरान आशा के माध्यम से डॉक्टर के संपर्क में आना जरूरी है। इसके साथ ही गर्भवती को टिटनेस का टीका लगवाना भी जरूरी है। गर्भवती की अस्पताल में ही डिलीवरी पर जोर देना जरूरी है। घर पर प्रसव होना जच्चा और बच्चा दोनों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
सघन मिशन इंद्रधनुष के दौरान गर्भवती महिलाओं को लगाया गया टीका
स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियो नटल के केस के मिलने के बाद फतेहाबाद के धनौला खुर्द के बिलइंया गांव में सघन मिशन इंद्रधनुष-3.0 के आखिरी दिन विशेष टीकाकरण अभियान चलाया गया। इसमें गर्भवती महिलाओं व बच्चों के टीके लगाए गए। एएनएम पूनम द्वारा गर्भवती महिलाओं व बच्चों के टीके लगाए गए। मॉबिलाइजर अयोध्या देवी ने घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं व बच्चों को टीकाकरण स्थल पर लाकर टीकाकरण कराया।
इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा समय से टीकाकरण कराने के बारे में जागरुक किया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम ने एसएमओ डॉ बीएस चंदेल के निर्देशन में सर्वे भी कराया. डब्लूएचओ की टीम द्वारा इस दौरान गर्भवती व बच्चों के टीकाकरण के स्तर की जांच की गई। डब्लूएचओ के फील्ड मॉनिटिर योगेंद्र कुमार दीक्षित द्वारा फतेहाबाद के धनौला खुर्द में समस्त गर्भवती महिलाओं व बच्चों वाले परिवार से मुलाकात की व क्षेत्र में टीकाकरण की स्थिति को जाना। उन्होंने बच्चों के टीकाकरण के कार्ड भी जांचे।
यहां पर 17 गर्भवती महिलाओं को चिन्हित किया गया, इनमें से 14 का टीकाकरण किया जा चुका है। टीकाकरण अभियान के तहत इस क्षेत्र में शून्य से दो साल तक के 90 परसेंट बच्चों का टीकाकरण किया जा चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एसएमओ डॉ बीएस चंदेल के निर्देशन में नियो नटल टिटनेस के इस केस की लगातार मॉनिटरिंग और फ़ॉलो अप किया गया।
क्या है नियो नटल टिटनेस
शिशु के स्तनपान में परेशानी आने के साथ साथ गर्दन शरीर तन जाता है या मांस पेशियों में ऐंठन, तान झटके आने लगते हैं। जिसके कारण कई बार शिशु की मौत हो जाती है। प्रसव के बाद शिशु के नाल को गंदे हाथों गंदी ब्लेड से काटने या नाल पर गोबर या घी लगाने से शिशु में यह रोग हो जाता है। जिसे नियोनेटल टिटनेस कहते हैं।

संवाद:- दानिश उमरी