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हज़रत अलहाज रमज़ान अली शाह चिश्ती साबरी के उर्स में हुई अमन चैन की दुआ

बुजुर्गों के कुल शरीफ की रस्म में रूहानी व नूरानी फरिश्ते शिरकत करते हैं , विजय कुमार जैन
आगरा,दरगाह हज़रत पीर अलहाज रमज़ान अली शाह चिश्ती साबरी रहमतुल्लाह अलैह के जश्न ए उर्स के मुबारक मौके पर कोविड 19 से बचाव करते हुए और कोरोना कर्फ्यू जारी रहने के कारण हजरत के मुरीदेनों ने अपने घरों पर ख्वान सजाकर फातिहा ख्वानी व दुआ का कार्यक्रम किया गया । इस मौके पर दरगाह के सज्जादानशी व अखिल भारतीय सर्वधर्म साबरी एकता संगठन के राष्ट्रीय महासचिव विजय कुमार जैन ने कुल शरीफ की रस्म को अदा किया संदल चादरपोशी , गुलपोशी, इत्र आदि पेश करके तोशा शरीफ पर फातिहा ख्वानी शिजरा ख्वानी व बारगाह में मुल्क के अमन चैन की दुआ करते हुए कहा कि इन बुजुर्गों की बारगाह से एकता और मुहब्बत का पैगाम आम किया जाता है बुजुर्गों की बारगाह में आने वाले जायरीन के दिल पर नजर डालकर उसे अपने दरबार का दीवाना बना लेते हैं । हजरत का एक पैगाम ” सब धर्मों का हो सम्मान , मानव – मानव एक समान ” हमेशा इन फिजाओं में गूंजता रहेगा । बुजुर्गों के कुल शरीफ के मौके पर रूहानी व नूरानी फरिश्ते बारगाह में हाजिर होते है और बुजुर्गों की बारगाह से मुराद मांगने वाले की झोली को रब्बुल आलमीन के हुक्म से मांगने वाले के दामन में आया कर देते हैं । जबकि झोली तो भरी नजर आती है लेकिन देने वाला नजर नहीं आता है । मेरे आका मौला ने सभी धर्मो के इंसानों से बेपनाह मुहब्बत की और अपना बनाकर एक रंग बिरंगा सार्वधार्मिक गुलशन तैयार किया जो आज भी बरकरार है जहां उनके ईदगाह कटघर कब्रिस्तान स्थित मजार शरीफ पर सभी धर्मो के अकीदतमंद व मुरीद हाजिर होकर अपनी खिराजे अकीदत पेश करते हैं और मन्नते मांगते हैं और अपने दामन को मुरादों से भरते हैं । हजरत के मुहब्बत और एकता के इस मिशन को औलादे अव्वल व सज्जादानशीन विजय कुमार जैन बखूबी पूरा कर रहे हैं और बुजुर्गो के मिशन को आगे बढ़ाने में पूरी तरह से समर्पित हैं । जश्न ए उर्स में कुल शरीफ के मौके पर देश में व्याप्त महामारी कोविड़ 19 के खात्मे की दुआ की गई और आलमे इंसान में सुकुनियत को कायम करने की दुआ की गई । इस मौके पर एक दुआ का शेर भी पढ़ा गया
दुआ ए नाज की या रब मदीने में पहुंच जाए ।
खुदाया गैब से हम सबका कोई सामान पैदा कर ।।
मुर्शिद की चश्मे नाज ने दीवाना कर दिया ,
वो शमाअ बन गए मुझे परवाना कर दिया ।
जश्ने उर्स में कुल शरीफ की रस्म में सर्वश्री सूफी परवेज साबरी मुजफ्फरी , बशीर भाई साबरी, उमेश चंदेल साबरी, मनोज साबरी, राकेश साबरी, रमज़ान खान साबरी, अनिल दीक्षित, मुकेश साबरी, अब्दुल सईद खान , पुरषोत्तम साबरी, रूपसिंह साबरी अनिल साबरी, हाशिम साबरी, कासिम साबरी, सतीश कुमार, गुलशन चंचल,आरिफ भाई, वहीद साबरी, राहुल साबरी, पंडित जगदीश प्रसाद शर्मा, कल्लू कुरैशी साबरी, रामदयाल साबरी, इरफान साबरी, सईद साबरी, गायत्री साबरी, सुषमा साबरी, माया साबरी, विमला साबरी, बेबी साबरी, सरोज साबरी, ममता दीक्षित, गुरुप्यारी साबरी, अंजू सिंह साबरी, इति साबरी, आदि के साथ देश के कई राज्यों के मुरीदेनों ने ख्वान सजाकर मुर्शिद ए पाक के जश्न ए उर्स में शिरकत का आभास किया और वहीं सबको घर घर जाकर लंगर तकसीम किया गया ।