गाजा सिटी (गाजा पट्टी)। इजराइली सेना ने एक बयान में कहा कि ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ ने देश के दक्षिण में सैनिकों की संख्या बढ़ाने का आदेश दिया है क्योंकि गाजा में तनाव लगातार दूसरे दिन भी बना हुआ है। इजराइल ने गाजा में मंगलवार को हवाई हमले किए और हमास के एक फील्ड कमांडर के घर तथा उग्रवादियों द्वारा खोदी गई दो सीमा सुरंगों को निशाना बनाया। वहीं हमास और दूसरे सशस्त्र समूहों ने इजराइल की तरफ दर्जनों रॉकेट दागे। इस बीच इजराइली के रक्षा मंत्री बेन्नी गांट्ज ने मौजूदा अभियान को विस्तार देने और “घरेलू मोर्चे की सुरक्षा को मजबूत” करने के लिये 5000 आरक्षित सैनिकों की तैनाती का आदेश दिया है। संघर्ष में यह तेजी यरुशलम में बीते कुछ हफ्तों से जारी तनाव के बाद आई है।
गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि सोमवार शाम सीमापार लड़ाई शुरू हो गई थी जिसमें नौ बच्चों समेत 24 फलस्तीनी मारे गए। ज्यादातर की मौत हवाई हमलों के कारण हुई। इजराइल की सेना ने कहा कि मृतकों में से 15 चरमपंथी थे। गाजा के चरमपंथियों ने 200 से अधिक रॉकेट इजराइल की ओर दागे, जिनके कारण इजराइल के छह आम नागरिक घायल हो गए। इससे पहले सोमवार को फलस्तीनी लोगों और इजराइल के सुरक्षा बलों के बीच कई घंटों तक संघर्ष हुआ था। बीते 24 घंटों में यरूशलम और वेस्ट बैंक क्षेत्र में इजराइल के सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष में 700 से अधिक फलस्तीनी घायल हो गए। इनमें से 500 को अस्पतालों में भर्ती करवाना पड़ा। हिंसा का कारण यरूशलम पर फलस्तीन और इजराइल दोनों द्वारा दावा जताना है।
बढ़ती अशांति के संकेतों के बीच इजराइल में अरब समुदाय के सैकड़ों लोगों ने फलस्तीन के खिलाफ इजराइली बलों की हालिया कार्रवाई की निंदा करते हुए प्रदर्शन किया। इसे हाल के वर्षों में इजराइल में फलस्तीनी नागरिकों द्वारा सबसे बड़ा प्रदर्शन माना जा रहा है। पूर्व में इजराइल और गाजा पर शासन करने वाले हमास के बीच होने वाला सीमा पार संघर्ष कुछ दिनों बाद समाप्त हो जाता था जिसका कारण अक्सर पर्दे के पीछे से कतर, मिस्र और अन्य देशों द्वारा की जाने वाली मध्यस्थता होती थी। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस बार ऐसा कोई समझौता होगा या नहीं। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार को चेतावनी दी थी कि यह लड़ाई कुछ समय तक जारी रह सकती है। इजराइली मीडिया की खबरों में कहा गया है कि हिंसा के इस नए दौर की वजह से नेतन्याहू के विरोधियों के सत्ताधारी गठबंधन बनाने की कोशिशें धीमी हो गई है। इन विपक्षी दलों की विचारधारा अलग-अलग है लेकिन साझा लक्ष्य नेतन्याहू को हटाने का है।