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पहले दी कोरोना को मात, फिर बढ़ा रहे दूसरों का मनोबल उत्साहवर्धन से तेजी से रिकवर हो रहे मरीज

आगरा। कोरोना वायरस का संक्रमण खतरनाक है लेकिन इसका भय उससे भी ज्यादा खतरनाक है। कोरोना के संक्रमण से ज्यादातर लोग स्वस्थ हो रहे हैं। इसके बावजूद कोरोना को लेकर समाज में काफी भय है। कुछ लोग भय के कारण कोरोना से ग्रसित मरीजों व उनके परिजनों से भेदभाव भी करते हैं। लेकिन कुछ लोग लगातार कोरोना पीड़ितों का उत्साहवर्धन कर रहे हैं।
कोरोना वायरस से संक्रमित होकर लौटे 50 वर्षीय कमला नगर निवासी अनिल बसंतानी इन दिनों अपने आसपास के कोरोना से पीड़ित लोगों का लगातार मनोबल बढ़ा रहे हैं, वे बीमारी के दौरान का अपना अनुभव साझा करते हुए अन्य लोगों की सहायता कर रहे हैं। अनिल बताते हैं कि वे खुद संक्रमित होने से पहले भी लोगों की मदद करते थे।
लेकिन जब से वे संक्रमित होकर लौटे हैं वे लोगों का दर्द ज्यादा अच्छी तरह समझ रहे हैं। वे बताते हैं कि मेरे आस-पास या मेरे किसी परिचित को कोरोना का संक्रमण होने की खबर मिलती है तो मैं तुरंत उन्हें या उनके परिजनों को संपर्क करके उनसे उनका हाल-चाल पूछता हूं और ट्रीटमेंट के लिए उचित सलाह देकर भी उनकी मदद करने की कोशिश करता हूं।
अनिल बताते हैं कि इस मुश्किल दौर में मरीज और उसके परिवारीजनों का उत्साह बढ़ाने की जरूरत है। जरूरी है कि वे कोरोना को मानसिक तौर पर हावी न होने दें। यदि कोरोना के मानसिक दवाब को झेल लिया तो मरीज आधा तो अपने आप ही ठीक हो जाता है। अनिल बताते हैं कि मैं और मेरी पत्नी दोनों दूसरों को लगातार जागरुक भी करते हैं कि मुश्किल वक्त में किसी से भेदभाव न करें, बल्कि उनका सहयोग करें।
सात दिन रहे हॉस्पिटल में एडमिट
अनिल बसंतानी बताते हैं कि वे कोविड पॉजिटिव हुए तो वे काफी डर गए। उनका ऑक्सीजन लेवल गिरता गया। इस हालत में उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा अनिल बताते हैं कि इस मुश्किल समय में मेरी पत्नी मीना बसंतानी ने उनका हौंसला बढ़ाया और मुझे लगा कि मैं ठीक हो जाउंगा। उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी लागातार मुझे हिम्मत देती रहती थीं। परिवार के अन्य सदस्य और मित्रगण भी लगातार फोन से संपर्क में रहते थे। इससे मेरा मनोबल बढ़ता था। इस प्रकार से सात दिन में मुझे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया और अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं।