राजनीति

पंजाब में कांग्रेस के लिए बढ़ी मुश्किलें

चंडीगढ़, अगले साल पंजाब में विधानसभा के चुनाव होने है। लेकिन उससे पहले वहां कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ गुटबाजी तेज हो गई है। पंजाब कांग्रेस में ऐसे कई नेता है जो कैप्टन अमरिंदर सिंह से असंतुष्ट माने जा रहे हैं। पंजाब सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से सीएम अमरिंदर के तनातनी तो सबको पता है। लेकिन एक और तनातनी की खबरें अब सामने आ रही है। यह तनातनी पंजाब सरकार में मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और कैप्टन अमरिंदर के बीच की है। पंजाब के कांग्रेस के भीतर इस तकरार ने आलाकमान को चिंता में डाल दिया है। मी टू से जुड़े 3 साल पुराने मामले में नोटिस भेजे जाने के बाद पंजाब सरकार में मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के घर बैठक के चल रही है। इसमें प्रताप सिंह बाजवा समेत कई विधायक और मंत्री मौजूद रहे। यह सभी कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज बताए जा रहे हैं। इन नेताओं का आरोप है कि चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब सरकार के खिलाफ मुखर होने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है।
वहीं पिछले दिनों नवजोत सिंह सिद्धू ने अब तक जेल मंत्री सुखजिंदर रंधावा और तकनीकी शिक्षा पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री चरणजीत चन्नी के साथ बैठक की थी। इस बैठक में कुछ विधायकों के भी शामिल होने की खबर थी। बताया जा रहा है कि प्रताप सिंह बाजवा के भाई फतेह जंग सिंह बाजवा, साथ में कुशलदीप सिंह ढिल्लो. बलविंदर लाडी और बरिंदरमीत सिंह पहरा शामिल थे। ग्रुप में शामिल लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री पर पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादों पर अमल करने के लिए दबाव बनाया जाएगा। इन बातों में बरगारी बलिदान और ड्रग माफिया पर शिकंजा कसना शामिल है। भले ही यह समूह कुछ भी रहे, लेकिन सच तो यही है कि नवजोत सिंह सिद्धू लगातार मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं। ऐसे में उन्हें लगता है कि जब तक कैप्टन अमरिंदर सिंह है तब तक शायद उन्हें मौका ना मिले। और यही वह वजह है जिस कारण अमरिंदर पर सिद्धू लगातार हमलावर हैं। सिद्धू एक तीर से दो काम कर रहे हैं। पहला कि वह अमरिंदर को कमजोर कर रहे हैं तो दूसरा कांग्रेस नेतृत्व पर भी दबाव बना रहे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के एक निकट सहयोगी पर विधायक परगट सिंह द्वारा धमकाने का आरोप लगाए जाने संबंधी विवाद की पृष्ठभूमि में कहा कि पार्टी आलाकमान को प्रदेश सरकार एवं कांग्रेस की स्थिति को लेकर दखल देना चाहिए और सभी विधायकों से बातचीत के बाद कोई फैसला करना चाहिए। दूसरी तरफ, पार्टी ने आधिकारिक तौर पर कहा कि पंजाब में कांग्रेस के भीतर कोई गुटबाजी नहीं है तथा अगर कोई मनमुटाव का मसला है तो उसका प्रदेश के स्तर पर समाधान कर लिया जाएगा। पंजाब प्रदेश कांग्रेस के भीतर चल रही कलह के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने बातचीत में कहा, ‘‘हमारा यह कहना है कि इसमें प्रभारी हरीश रावत जी को आलाकमान से सभी विधायकों की एक-एक करके बातचीत करानी चाहिए। आलाकमान को पूरी स्थिति का पता करने के बाद ही कोई फैसला करना चाहिए।’’