आगरा:प्रख्यात सर्वोदयी एवं गो सेवक सुश्री कृष्णा बल्ला का 18जून शुक्रवार को निधन हो गया।कुछ दिनपूर्व उन्हें कोरोना हो गया था। रविअस्पताल में कई सप्ताह इलाज करवाने के बाद वह ठीक होकर अपने घर तो लौट आयी थीं और तथा जिस तरह रिकवरी कर रही थीं लगता था कि वह शीघ्र ही पूरीतरह से स्वस्थ्य हो जायेंगी। लेकिन अचानक तबियत बिगड गयी फलस्वरूप उन्हे अस्पताल में पुन: भर्ती होना पडा जहां डा.अजित चाहर और डा राघव चतुर्वेदी ने उनका उपचार करने का हरभरसक प्रयास किया लेकिन अंतत: वह परलोक गमन कर ही गयीं।सुश्री बल्ला का ताजगंज शमशान घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। मुखग्नि उनकी बहिन की पुत्री सुश्री मीना ने दी।
सुश्री बल्ला अपने समय के प्रख्यात गांधीवादी एवं आगरा के पहले सत्याग्रही स्व बालमुकुंद बल्ला की पुत्री थीं। जीवन पर्यंत खादी पहनती रहीं।वह कई गोसेवा संगठनों से जुडी हुई थीं। दयालबाग में एक गौशाला का संचालन वे स्वयं करवाती थीं। हमेशा एक एक आनापाई का हिसाब वह देती थीं। कोरोना काल में भी उन्हों ने इस परंपरा को जारी रखा।
गोशाला संचालन के अलावा स्ट्रीट चिल्ड्रन के लिये गधा पाडा में अपने निवास रामहरि आश्रम में एक स्कूल का संचालन भी करती थीं।
सुश्री बल्ला के भाई समाज सेवी रमन ने बताया कि उन्हें लगता था कि इलाज के बाद वह शीघ ही स्वस्थ्य हो जायेंगी, लेकिन शारीरिक कमजोरी और अक्सीजन के लेविल में अक्सर हो जाने वाली कमी से उबर नहीं सकीं।
स्वाभिमान और परमार्थ को समर्पित जिंदगी का सफर उनके द्वारा पूरा कर लिये जाने की सूचना मिलते ही बडी संख्या में लोगों के द्वारा फोन और डिजिटल माध्यम से उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने किये गये।