गोरखपुर-DVNA। सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार व चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में हज़रत सैयदना इमाम मोहम्मद अल बाक़िर रदियल्लाहु अन्हु, हज़रत सैयदना मुस्लिम बिन अक़ील रदियल्लाहु अन्हु व हज़रत सैयद जलालुद्दीन हुसैन मखदूम जहानियां अलैहिर्रहमां का उर्स-ए-पाक मनाया गया। क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी के जरिए अकीदत का नज़राना पेश किया गया।
सब्जपोश हाउस मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ रहमत अली ने कहा कि हज़रत इमाम बाक़िर ५७ हिजरी को मदीना शरीफ में पैदा हुए। आपके वालिद का नाम हज़रत सैयदना इमाम ज़ैनुल आबेदीन और वालिदा का नाम हज़रत सैयदा फातिमा है। जंगे कर्बला के वक्त आपकी उम्र तीन साल छह माह थी। आपने इमाम ज़ैनुल आबेदीन से तालीम हासिल की। आप अइम्मा-ए-अहले बैत के ५वें इमाम हैं। आप ३८ साल की उम्र में इमाम बनें। आप फिक्ह, कलाम और दर्सी उलूम के माहिर थे और लोगों को तालीमे दीन देते थे। लोग इल्मे दीन सीखने के लिए खास मदीना शरीफ आपकी बारगाह में आते थे। आपके मशवरा से एक मदरसा भी शुरु किया गया था। आपके २५००० शागिर्द थे। आपकी निगरानी में आपके शागिर्दों ने हदीस शरीफ की ४०० किताबें तैयार की थी। इमामे आज़म हज़रत सैयदना अबू हनीफ़ा नोमान बिन साबित ने भी कुछ वक्त आपकी सोहबत में रहकर इल्म सीखा।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी ने कहा कि इमाम बाक़िर का इल्म, हुस्नों अख़लाक, सखावत और इबादत मशहूर है। आप बड़े आबिद, ज़ाहिद, पाक सीरत और बुज़ुर्ग नफ़्स थे। अपने तमाम औक़ात को इबादत व इताअते इलाही से मामूर रखते थे। इमाम बाक़िर ने अपने साहबज़ादे हज़रत सैयदना इमाम जाफ़र सादिक़ को खिलाफत अता फ़रमाई। आपकी शहादत ७ ज़िल हिज्जा ११४ हिजरी में हुई। मजार जन्नतुल बक़ी मदीना शरीफ में है। वहीं हज़रत सैयदना मुस्लिम बिन अक़ील आलिमे बाअमल, आबिदो जाहिद व बहुत बहादुर थे। आपकी इबादत, इल्म, हुस्नों अख़लाक और शख्सियत मशहूर है। आपका विसाल 9 ज़िलहिज्जा 60 हिजरी में हुआ।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर भाईचारे व हर बीमारी से शिफा की दुआ मांगी गई। उर्स में आसिफ रज़ा, कारी सद्दाम, हाफ़िज़ आमिर हुसैन, अजमत अली, रहमत अली, मोहम्मद फैज, मोहम्मद ज़ैद, हाफ़िज़ उमर, शारिक अली, सैफ अली, फुजैल अली, फैज़ान, सज्जाद अहमद, मुख्तार अहमद, शाहिद अली, तारिक अली, असलम खान, आरिफ खान आदि ने शिरकत की।
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