देश विदेशहिंदी

तकबीरे तशरीक पढ़ना वाजिब है मुफ़्ती अज़हर

गोरखपुर-DVNA। शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह में क़ुर्बानी पर चल रहे दर्स (व्याख्यान) के 6वें दिन नायब काजी मुफ़्ती मो. अज़हर शम्सी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में क़ुर्बानी देना वाजिब है। क़ुर्बानी रोजगार का बहुत बड़ा जरिया भी है। करोड़ों लोगों का रोजगार क़ुर्बानी से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने बताया कि 20 जुलाई मंगलवार को फज्र की नमाज़ से लेकर हर नमाजे फर्ज पंजगाना के बाद तकबीरे तशरीक बुलंद आवाज़ से पढ़ी जाएगी। जिसका सिलसिला 24 जुलाई शनिवार की असर की नमाज़ तक जारी रहेगा।
उन्होंने बताया कि नौवीं ज़िलहिज्जा के फज्र से तेरहवीं के असर तक हर फर्ज नमाज़ के बाद जो जमाअत के साथ अदा की गई एक मरतबा तकबीरे तशरीक यानी श्अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ला इलाहा इल्लल्लाह वल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर व लिल्लाहिल हम्द’ बुलंद आवाज़ से पढ़ना वाजिब है और तीन बार अफ़ज़ल है। हदीस शरीफ में क़ुर्बानी की बेशुमार फज़ीलत आई है। अल्लाह ने क़ुरआन-ए-पाक में क़ुर्बानी करने का हुक्म दिया है। मालिके निसाब पर क़ुर्बानी वाजिब है। साफ-सफाई अल्लाह को पसंद हैं इसका हर मुसलमान को खास ख्याल रखना चाहिए। जिन पर कुर्बानी वाजिब है वह क़ुर्बानी जरूर कराएं। क़ुर्बानी केवल तीन दिन 21, 22 व 23 जुलाई को ही होगी।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान व भाईचारे की दुआ मांगी गई। दर्स में मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ आफताब, कारी मोहम्मद अनस रज़वी, हाफ़िज़ अब्दुर्रहमान, हाफ़िज़ आरिफ, मो. कासिद, बशीर खान, मो. इरफ़ान, मो. फरीद, हाजी मो. यूनुस, मो. अफ़ज़ल, इकराम अली, मो. अरमान, जलालुद्दीन, अली हसन आदि ने शिरकत की।

Auto Fetched by DVNA Services

Comment here