60 लाख रूपए की लागत से तैयार किया गया है विद्युत शवदाह गृह
अजमेर । स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पहाड़गंज श्मशान घाट पर 60 लाख रूपये की लागत से विद्युत शवदाह गृह बनकर तैयार हो गया है। विद्युत शवदाह गृह को पूरी तरह से ईको फैंडली बनाया गया है, इसके उपयोग में आने के बाद पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और आस-पास का वातावरण भी शुद्ध रहेगा। उल्लेखनीय है कि ऋषि घाटी स्थित श्मशान घाट पर गैस शवदाह गृह तैयार किया जा चुका है और उपयोग में लाया जा रहा है।
पहाड़गंज स्थित श्मशान घाट पर 6 गुणा 12 मीटर क्षेत्रफल में इलेक्ट्रिक फर्नीश विद्युत शवदाह गृह का निर्माण किया गया है। यहां पर 2.4 मीटर चौड़ाई एवं 3.5 मीटर लंबाई का प्लेटफार्म तैयार किया गया है। अंतिम संस्कार में तापमान नियंत्रण के लिए रेग्यूलेट कंट्रोल का पैनल लगाया गया है। 650 डिग्री सेल्सियस पर एक घंटे के भीतर शव का अंतिम संस्कार हो सकेगा। शवदाहगृह के संचालन के लिए थ्री फेस बिजली कनेक्शन के लिया गया है। शवदाह गृह में चौबीस घंटे में 12 शवों का दाह संस्कार किया जा सकेगा। एक शव के अंतिम संस्कार में करीब 1.30 से 2 घंटे का समय लगेगा। शवदाह गृह में विद्युत भट्टी लगाने के साथ ही सफाई के लिए पानी की व्यवस्था भी की गई है। यहां पर बोरिंग किया गया है। प्रत्येक संस्कार के बाद शव स्थल की पानी से धुलाई करने की व्यवस्था रहेगी। जिला कलक्टर एवं अजमेर स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री प्रकाश राजपुरोहित और नगर निगम आयुक्त एवं अजमेर स्मार्ट सिटी के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. खुशाल यादव स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत किए जाने वाले कार्यों की नियमित मॉनीटरिंग कर रहे हैं।
चिमनी से धुआं ऊपर जाएगा
विद्युत शवदाह गृह में एक चिमनी बनाई गई है। जिससे शव के जलने पर धुआं आसपास नीचे की तरफ नहीं फैलेगा, बल्कि चिमनी के माध्यम से ऊपर चला जाएगा। श्मशान स्थल को हरा-भरा रखा जाएगा। श्मशान स्थल पर गार्डन विकसित किया जाएगा, यहां पर लगभग 60 से 65 पेड़ लगाए जाएंगे।
यह फायदा होगा
शव की चिता बनाने में लकड़ी का उपयोग होता है, इसमें कम से कम दो से तीन हजार रुपये खर्च आता है लेकिन विद्युत शवदाह गृह बन जाने के बाद शव के अंतिम संस्कार में काफी कम खर्च आएगा। इससे पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगेगा। पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए विद्युत शवदाह गृह कारगर साबित होगा। दाह संस्कार के लिए पेड़ों की कटाई रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए नवीन पहल होगी। सामान्य तौर पर एक दाह संस्कार में तीन वृक्षों की लकडियां जल जाती है। विद्युत शवदाह गृह से अंतिम संस्कार कराकर अनगिनत पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है। पेड़ पर्यावरण संरक्षण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इन्हें संरक्षित करने के लिए विद्युत शवदाह का विकल्प अपनाना होगा। पारंपरिक पद्धति से दाह संस्कार में करीब तीन क्विंटल लकड़ी लगती है और वातावरण में कॉर्बन डाईऑक्साइड फैलता है। विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार के दौरान हवा प्रदूषित होने का खतरा काफी कम होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक विद्युत शवदाह गृह स्क्रबर टेक्नोलॉजी से लैस होता है, जो अंतिम संस्कार के दौरान निकलने वाली खतरनाक गैस और बॉडी के बर्न पार्टिकल को सोख लेता है। विद्युत शवदाह तुलनात्मक रूप से कम खर्चीला होता है।
संवाद , मोहम्मद नज़ीर क़ादरी