आगरा। वाटर वर्क्स स्थित अतिथि वन में श्री गौशाला सोसायटी बल्केश्वर के द्विवार्षिक चुनाव संपन्न हुए जिसमें सर्वसम्मति से एक बार फिर महापौर नवीन जैन को श्री गौशाला सोसायटी का अध्यक्ष चुना गया। महामंत्री पद पर राजेश अग्रवाल को निर्वाचित किया गया जबकि कोषाध्यक्ष पद पर राकेश जैन को पुनः चुना गया है। सोसायटी के अध्यक्ष चुने जाने पर सभी सदस्यों ने महापौर नवीन जैन को फूल मालाएं पहनाकर बधाईयां दी।
अध्यक्ष पद को छोड़कर कार्यकारिणी के बाकी अन्य पदों पर सोसायटी के सदस्यों ने नामांकन कर दावा किया था। चुनाव बैठक के दौरान कई लोगों ने सोसायटी के हित में अपने नाम वापस लिए और उसके बाद सर्वसम्मति से गौशाला सोसायटी के सभी पदाधिकारियों और कार्यकारिणी के मनोनयन नामों की घोषणा की गयी। चुनाव अधिकारी दीपेन्द्र मोहन सीए की अध्यक्षता में गौशाला सोसायटी का यह संपूर्ण चुनाव संपन्न हुआ। जबकि मार्गदर्शन मंडल में शामिल सदस्य प्रमोद गर्ग (प्रकाश जनरेटर), रूप किशोर अग्रवाल और कामता प्रसाद अग्रवाल का चुनाव प्रक्रिया में योगदान रहा।
सबसे मुख्य बात यह है कि बिना किसी भेदभाव और राजनीति के दशकों पुराने चली आ रही परंपरा को गौ सेवा और गौशाला के हित को ध्यान में रखते हुए शहर के प्रतिष्ठित और प्रमुख समाजसेवी आगे बढ़ कर आते हैं और कार्यकारणी में शामिल होने की इच्छा जताते हैं। प्रतिष्ठित व्यक्तियों की सेवा भाव को समझते हुए ऐसे लोगों को कार्यकारिणी में मौका दिया जाता है। यही कारण है कि हर 2 साल में एक बार होने वाले गौशाला सोसायटी का चुनाव सर्वसम्मति और निर्विरोध पूर्ण तरीके से संपन्न होता है।
लगातार छठवीं बार बने गौशाला सोसायटी के अध्यक्ष
महापौर बनने से पूर्व नवीन जैन न केवल शहर में होने वाले समाज सेवा के कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे बल्कि बल्केश्वर गौशाला की सेवा के लिए भी वह हमेशा तत्पर रहे यही कारण है कि उन्हें वर्ष 2007-08 में पहली बार गौशाला सोसायटी का सभापति बनाया गया। गौशाला की बेहतरीन जिम्मेदारी और गौ सेवा के प्रति समर्पित भाव को देखते हुए लगातार छठवीं बार महापौर नवीन जैन को सोसायटी का सभापति बनाया गया।
इस अवसर पर महापौर नवीन जैन ने कहा कि आगरा की सबसे प्राचीन श्री गौशाला सोसाइटी का लगातार छठवीं बार निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने पर सोसाइटी के पदाधिकारियों का बहुत बहुत आभार व धन्यवाद जो उन्होंने मुझ पर भरोसा जताया और एक बार फिर गौशाला की सेवा करने का मौका दिया। मैं सभी शहरवासियों को यह विश्वास दिलाता हूं कि हम गौ संरक्षण के लिए सदैव कटिबद्ध हैं।
महापौर नवीन जैन ने बताया कि श्री गौशाला सोसाइटी के अन्तर्गत कर्मयोगी एन्कलेव कमलानगर और चुरमुरा, मथुरा की गौशालाऐं भी आती हैं। इन गौशालाओं में गायों के अलावा नंदी और बछडे़ भी हैं। लगातार इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। बेसहारा व बीमार गायों की भी सेवा और इलाज किया जाता है। इसलिए महापौर ने अपील की कि जो शहरवासी गायों की सेवा करना चाहते हैं वे आगे आयें और भूसा, चारा, हरा चारा या अन्य खाद्य सामग्री यहां भेजकर पुण्य लाभ कमायें। इसके अलावा प्रत्येक शहरवासी कम से कम एक बार यहां गौशाला देखने अवश्य आएं।
गौशाला सोसायटी की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी –
सभापति – महापौर नवीन जैन
महामंत्री – राजेश अग्रवाल
कोषाध्यक्ष – राकेश जैन
उपसभापति – उमेश चन्द्र अग्रवाल, विनोद कुमार अग्रवाल, सुनील सिंघल, गोपाल प्रसाद अग्रवाल
उपमंत्री – राजेन्द्र कुमार अग्रवाल, राकेश मंगल
सहायक मंत्री – बृजेन्द्र कुमार अग्रवाल, विजय कुमार गोयल
गौशाला निरीक्षक – दिनेश चंद्र बंसल, नीरज अग्रवाल, मुरारी प्रसाद अग्रवाल
हिसाब निरीक्षक – दीपेंद्र मोहन गर्ग
सदस्य – अजय अग्रवाल, अनिल मिततल, अनूप कुमार गोयल, अनुज सिंघल, हरीशंकर अग्रवाल, हर्षकुमार गोयल, महेशचंद्र अग्रवाल, प्रमोद अग्रवाल, प्रेमसागर अग्रवाल, राजीव अग्रवाल, राजीव बंसल, राकेश कुमार अग्रवाल, रूपकिशोर अग्रवाल, संजय कुमार गुप्ता, शैलेन्द्र कुमार, विवेक जैन आदि।
गौशाला और श्री गौशाला सोसाइटी का इतिहास
भारतीय संस्कृति में गौ सेवा का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्नीसवीं सदी के तत्कालीन आगरा शहर के प्रमुख समाजसेवी और प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने सन् 1906 में यमुना ब्रिज के पास मोती महल पर गौशाला संचालित की थी। उस समय यह गौशाला नारायणी देवी गौशाला के नाम से जानी जाती थी। गौशाला में 15 से 20 गायों की सेवा की जाती थी। गौ सेवा और गौशाला की देखरेख के लिए कभी सरकार या एनजीओ से मदद नहीं ली गई बल्कि समाजसेवियों ने ही स्वयं और अपने समाज की मदद से गौशाला की सेवा की। गौशाला में दुधारू गांव के साथ साथ ऐसे बीमार गायों की भी सेवा की जाती थी जो दूध देने में असमर्थ होती थी।
धीरे-धीरे गौशाला में बढ़ती गायों की संख्या को देखते हुए जब समाजसेवियों को ज्यादा भूमि की आवश्यकता हुई तब वर्ष 1912 में इस गौशाला को बल्केश्वर वाटर वर्क्स के पास स्थानांतरित कर दिया गया। उस समय बल्केश्वर गौशाला में गायों की संख्या लगभग 300 तक पहुंच गई थी। गौशाला की देखरेख के लिए शुरुआत में 10 से 12 समाजसेवियों ने मिलकर गौशाला सोसायटी की स्थापना की थी और तभी से ही दो वर्ष में एक बार सोसायटी का चुनाव आयोजित किया जाता है जिसमें गौशाला सोसायटी के अध्यक्ष से लेकर पूरी कार्यकारिणी चुनी जाती है। गौ सेवा और गौशाला की देखरेख के लिए समाज से पैसे जुटाने की जिम्मेदारी इन्हीं कार्यकारिणी की होती है।
गौशाला बनी स्वाबलंबी
लगभग 90 साल बीत जाने के बाद गौशाला में न केवल गायों की संख्या दुगनी हो गई है। उनके खाने-पीने से लेकर देखरेख की जिम्मेदारी और खर्च का भार भी बढ़ गया। हालांकि गौ सेवा के समाजसेवियों की संख्या बढ़ी लेकिन गौशाला की देखरेख के लिए समाज से आने वाली आर्थिक सहायता नाकाफी थी। तब गौशाला की देखरेख हेतु नियमित व्यवस्था बनाने के लिए 1990 के दशक में सोसायटी के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक अग्रवाल जी द्वारा गौशाला की ही जमीन पर अग्रवन मैरिज हॉल और अतिथि वन गेस्ट हाउस का प्रस्ताव लाया गया। 1998 से 2001 तक अग्रवन और अतिथि वन का काम पूरा हुआ और तब से अतिथि वन से होने वाले आय का 100 प्रतिशत और अग्रवन से होने वाली आय का 75 प्रतिशत पैसा गौशाला की देखरेख में खर्च किया जाता है। इसके अलावा यहां बॉयो गैस तैयार की जाती है जिसके लिए यहां 140 घनमीटर का प्लान्ट लगाया गया है। गोबर से बायो व जैविक खाद तैयार की जाती है।