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1984 सिख दंगा: 36 साल बाद खून के धब्बे मिलने की बात गले नहीं उतरी, एसआईटी की जांच पर उठे सवाल

कानपुर (DVNA)। 1984 में कानपुर में हुए सिख दंगे की जांच कर रही स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी की जांच पर सवाल उठ रहे हैं। गुरुवार को एसआईटी ने गोविंद नगर थाना क्षेत्र के दबौली एल ब्लॉक के मकान से खून के धब्बे और शव जलाने के निशान मिलने का दावा किया था। यह भी कहा था कि 36 साल पहले इस मकान में सिख परिवार के बाप-बेटे की हत्या हुई थी। तब से यह मकान बंद पड़ा है।
1984 में बाप-बेटे की हत्या के बाद जला दिया था शव
सिख दंगे की जांच कर रही एसआईटी के एसएसपी बालेंदु भूषण ने दावा किया था कि 1 नवंबर 1984 को कारोबारी तेज प्रताप सिंह (45) और बेटे सत्यवीर सिंह (22) की घर में हत्या करने के बाद शव जला दिया गया था। उनके दबौली एल-ब्लॉक स्थित मकान संख्या-28 के दो कमरे दंगे के बाद से बंद पड़े थे। उन कमरों को खुलवाकर जांच की गई तो खून के धब्बे और शव फूंकने के निशान मिले हैं।
वहीं, मकान में रहने वाले अंगद दीप सिंह रोषी ने शुक्रवार को बताया कि उनके पिता स्व. हरविंदर सिंह ने 1990 में यह मकान खरीदा था। इसके बाद से लगातार पूरे मकान का इस्तेमाल किया जा रहा है। एक भी कमरा 1990 के बाद से बंद नहीं है। एसआईटी और फॉरेंसिक टीम बीते मंगलवार को आई थी। उन्होंने पूछा था कि कब से आप यहां रहते हैं? मैंने बताया कि मेरा जन्म इसी मकान में हुआ है। टीम घर के अंदर गई थी और 15-20 मिनट बैठने के बाद चली गई। मुझे नहीं पता चला कि कब उन्होंने मेरे घर में केमिकल परीक्षण करके खून के धब्बे के साक्ष्य और शव जलाने के जुटा लिए।
अंगद दीप ने बताया कि जहां से एसआईटी खून के धब्बे मिलने का दावा कर रही है। उन कमरों में पिछले दस सालों से वह पानी का प्लांट चला रहे थे। फर्श पर परमानेंट पानी रहता था। पिता की मौत के बाद दो साल पहले उन्होंने अपना प्लांट बंद किया है। एक भी कमरा बंद नहीं था। मकान खरीदने के बाद 30 सालों से लगातार सभी कमरे इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
दंगे के 54 आरोपियों पर गिरफ्तारी की तलवार
सिख विरोधी दंगों की जांच अंतिम दौर में पहुंच चुकी है। एसआईटी ने 11 मुकदमों की जांच पूरी कर ली है। यह कानपुर के अलग.अलग थानों में दर्ज है। 9 केस बंद कर दिए हैं। जिन केसों की जांच पूरी की गई उसमें 67 आरोपी सामने आए। हालांकि, इसमें 13 की मौत हो चुकी है। ऐसे में 54 आरोपियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। इनमें करीब 6 आरोपी 80 से ज्यादा उम्र के हैं। सभी का सत्यापन भी हो चुका है। शासन की मंजूरी मिलते ही आरोपियों की धरपकड़ शुरू होगी। चार से पांच महीने के भीतर एसआईटी अपनी कार्रवाई पूरी करने की कोशिश कर रही है। एसआईटी ने 20 केसों की जांच शुरू की थी। सभी केस हत्या और डकैती से संबंधित थे।

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