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कर्बला के शहीदों की याद में ग़ौसे आज़म फाउंडेशन ने किया पौधारोपण

गोरखपुर-DVNA। माह-ए-मुहर्रम में पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के नवासे हज़रत सैयदना इमाम हुसैन व उनके 72 साथी हक का परचम बुलंद करते हुए कर्बला में शहीद हुए। चौथी मुहर्रम को ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के नौज़वान कर्बला के शहीदों को कुछ अलग अंदाज में याद करते हुए समाज को पर्यावरण के प्रति जागरुक करते नज़र आए।
फाउंडेशन के नौज़वानों ने कर्बला के शहीदों की याद में शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार व अन्य जगहों पर पौधारोपण किया। पौधे वहां लगाए गए हैं जहां उनकी देखभाल व सुरक्षा हो सके।
शाही मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ आफताब ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में पौधा लगाना बहुत नेकी का काम है। पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो बंदा कोई पौधा लगाता है या खेतीबाड़ी करता है, फिर उसमें से कोई परिंदा, इंसान या अन्य कोई प्राणी खाता है तो यह सब पौधा लगाने वाले की नेकी में गिना जाएगा।
फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली ने ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में पेड़-पौधों की बड़ी अहमियत बयान की गई है। पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के समय में अरब देश की मरुभूमि में राहगीर सफर में धूप और प्यास से बिलबिला उठते थे। इस पर पैगंबर-ए-आज़म की ओर से हुक्म हुआ कि रास्तों के किनारे छायादार पेड़ लगाए जाएं और वहां कुएं खुदवाए जाएं। बाद में ऐसा ही हुआ। पैगंबर-ए-आज़म ने फ़रमाया जो शख्स पौधा लगाता है फिर उस पेड़ से जितना फल पैदा होता है अल्लाह फल की पैदावार के बक़द्र पौधा लगाने वाले के लिए नेकी लिख देता है। इसलिए अबकी बार फाउंडेशन शहीद-ए-कर्बला की याद में पौधारोपण कर समाज में पर्यावरण के प्रति जागरुकता लाने का प्रयास कर रहा है ताकि लोग समझे की पेड़ पौधे हमारी ज़िन्दगी में बहुत अहमियत रखते हैं।
सब्जपोश मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो भी खजूर का पेड़ लगाएगा, उस खजूर से जितने फल निकलेंगे, अल्लाह उसे उतनी ही नेकी देगा। पेड़-पौधा लगाना भी एक प्रकार का सदका व नेकी है।
पौधरोपण कार्यक्रमों में जिला महासचिव हाफ़िज़ अमन, मो. फ़ैज़, मो. ज़ैद मुस्तफाई, अमान अहमद, मो. आसिफ, अली गज़नफर शाह अज़हरी, मो. ज़ैद चिंटू, मो. समीर, मो. शादाब, सैयद ज़ैद, मो. काशिफ, मो. शारिक, इमाम हसन आदि ने शिरकत की।

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