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कैसे होगा संस्कृत भाषा का उत्थान

आज हम जिस विषय की बात कर रहे हैं वह भारत के देव ऋषियों और भारत की संस्कृत भाषा को यादांजलि देने का दिन है |देव भाषा का दर्जा रखने वाली संस्कृत भाषा जिसका सृजन भारत के देव ऋषियों द्वारा किया गया था |इसका इतिहास 3500वर्ष पुराना है| अनेक भाषाएं संस्कृत भाषा की देन है| संस्कृत भाषा केवल एक भाषा ही नहीं यह भारत की संस्कृति ,अध्यात्म, विचार, रहन सहन ,वेद पुराणों की आधार शिला है ।

आज यह अपनी प्रतिष्ठा को अंग्रेजी भाषा जो अंग्रेजों द्वारा थोपी गई भाषा की वजह से अपना अस्तित्व खोती जा रही है, इसीलिए सन 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था। तब से संपूर्ण भारत में संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।देश-विदेश में समय-समय पर हुए तमाम शोधों ने भी स्पष्ट किया कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है।

श्रावणी पूर्णिमा अर्थात् रक्षा बन्धन ऋषियों के स्मरण तथा पूजा और समर्पण का पर्व माना जाता है। वैदिक साहित्य में इसे श्रावणी कहा जाता था। इसी दिन गुरुकुलों में वेदाध्ययन कराने से पहले यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। इस संस्कार को उपनयन अथवा उपाकर्म संस्कार कहते हैं। इस दिन पुराना यज्ञोपवीत भी बदला जाता है। ब्राह्मण यजमानों को रक्षासूत्र भी बांधते हैं। ऋषि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं, इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को ऋषि पर्व और संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है।कहते हैं इसी दिन प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था ।श्रावण मास की पूर्णिमा और रक्षाबंधन का दिवस हमेशा एक रहता है|

राज्य तथा जिला स्तरों पर संस्कृत दिवस आयोजित किए जाते हैं। इस अवसर पर संस्कृत कवि सम्मेलन, लेखक गोष्ठी, छात्रों की भाषण तथा श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है, जिसके माध्यम से संस्कृत के विद्यार्थियों, कवियों तथा लेखकों को उचित मंच प्राप्त होता है।

आजकल देश में ही नहीं, विदेश में भी संस्कृत उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसमें केन्द्र तथा राज्य सरकारों का भी योगदान उल्लेखनीय है। जिस सप्ताह संस्कृत दिवस आता है, वह सप्ताह कुछ वर्षों से संस्कृत सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। सीबीएसई विद्यालयों और देश के समस्त विद्यालयों में इसे धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तराखण्ड में संस्कृत आधिकारिक भाषा घोषित होने से संस्कृत सप्ताह में प्रतिदिन संस्कृत भाषा में अलग अलग कार्यक्रम व प्रतियोगिताएं होती हैं। संस्कृत के छात्र-छात्राओं द्वारा ग्रामों अथवा शहरों में झांकियाँ निकाली जाती हैं। संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह मनाने का मूल उद्देश्य संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार करना है।
संस्कृत का झंडा दिन-प्रतिदिन बुलंद हो रहा है।जिस प्रकार से उत्तराखंड में अपने राज्य की संस्कृत भाषा की है उसी प्रकार केंद्र सरकार को अन्य राज्यों से भी आग्रह करना चाहिए कि वह अपने पाठ्यक्रम में चाहे सीबीएसई बोर्ड हो या आईएससी बोर्ड हो उसमें संस्कृत का पाठ्यक्रम अवश्य शामिल करें तभी हम सच्ची संस्कृतिक दिवस के उत्थान की बात कर पाएंगे|