लखनऊ (DVNA)। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सचिन रावत ने कहा कि प्रदेश में अवैध जहरीली शराब से 29 जनपदों में अब तक लगभग 1000 मौतें हो चुकी है। कांग्रेस नेता ने दावा करते हुए कहा कि बीते साढ़े चार साल में अवैध जहरीली शराब का जाल पूरे उत्तर प्रदेश में सरकार की पनाह में फलफूल रहा है। शुक्रवार को ऐसे कुछ आंकड़े पेश करते हुए कहा कि साल 2017 में आजगढ़ के रौनापुर थाना क्षेत्र के केवटिया, ओडऱा, सलेमपुर में जहरीली शराब से 27 लोगों की मौत हो गई थी।
साल 2018 में कानपुर देहात के रूरा में 9 लोगों की मौत, कानपुर नगर के सचेण्डी में 7 लोगों की मौत, बाराबंकी में 9 लोगों की मौत, साल 2019 में सहारनपुर में 38, मेरठ में 18, कुशीनगर में 8 लोगों की मौत, साल 2020 में प्रयागराज मे 13 लोगों की मौत, फिरोजाबाद में 2 लोगों की मौत, मथुरा 3 लोगों की मौत, लखनऊ में 6 लोगों की मौत, साल 2021 में प्रयागराज में 9 लोगों की मौत, प्रतापगढ में 4 लोगों की मौत, बुलंदशहर में 5 लोगों की मौत, महोबा में 2 लोगों की मौते, अलीगढ़ 22 मौते, बिगत दिनों में आगरा में 14 मौतें हुई है। आगे कहा कि अवैध जहरीली शराब का कारोबार आबकारी विभाग द्वारा अनुज्ञापित शराब दुकानों से मौत का सामान बेचा जा रहा है, सरकार के राजस्व में कोई कमी नहीं आ रही है और सरकार इसी बात से प्रसन्न होकर अवैध शराब कारोबारियों पर कार्रवाई से लगातार बच रही है।
रावत ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 2017 बीजेपी सरकार बनने के बाद 2017 की तुलना में 2018 में शराब के राजस्व में 75 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। सरकार को 2017 में शराब से 2603 करोड़ राजस्व मिला था जो 2018 में बढ़कर 4558 करोड़ रुपए हो गया। सरकार में साल 2018-2019 में 8 निवेशकों के साथ शराब उत्पादन का एएमयू साईन किया था, इनमें लॉर्ड्स, रेडिको खेतान, आईजीएल, धामपुर, वेब, सुपिरियर के साथ तीन नई कंपनी हरियावन हरदोई, सठियावां आजमगढ़, स्नेहरोड बिजनौर को शामिल किया गया। शराब की बिक्री में वित्त 2019-2020 में सरकार को 26000 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ।
कांग्रेस प्रवक्ता रावत ने आबकारी मंत्री से सवाल पूछते हुए कहा कि अवैध जहरीली शराब पीने से हो रही मौतों का जिम्मेदार कौन है। उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रश्न करते हुए कहा कि आपने कहा था कि जहरीली शराब की जिस जनपद में बिक्री होगी या उसके सेवन से मौतें होगी उसके लिए सीधे-सीधे जिले के डीएम, कप्तान व जिला आबकारी अधिकारी दोषी माने जायेंगे जिन्हें सरकार दंडित करेगी।
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