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चार माह से न्याय की आस में भटक रहा वैष्णव परिवार

आरोपी बेखौफ और पीडित खौफ के साए में जीने को मजबूर

अजमेर।आमजन में विश्वास, अपराधियों में खौफ का पुलिस का स्लोगन ब्यावर में उलटा साबित हो रहा है। वहां अपराधियों का पुलिस में विश्वास और आमजन में खौफ पैदा कर रहा है। ब्यावर में चार माह पूर्व एक युवा ने कुछ आरोपी लोगों द्वारा दी गई लगातार शारिरिक और मानसिक प्रताडना सहते सहते आखिरकार अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। आत्महत्या करने से पहले युवक ने सुसाईड नोट में अपना दर्द बयां किया था और उन लोगों के नाम उजागर किए जिसके कारण उसे भरी जवानी में बूढे मां बाप, भाई, भाभी, पत्नि और दो मासूम बच्चों को छोडकर अपने गले में फांसी का फंदा डालने का निर्णय लिया। ब्यावर सिटी पुलिस थाना ने फांसी के फंदें पर झूलने वाले युवक मनोज के पास सुसाईड नोट बरामद किया, मनोज के बडे भाई निरंजन वैष्णव की एफआईआर दर्ज की और आईपीसी की धारा 306 में मुकदमा दर्ज किया तथा औपचारिक रुप से जांच की जिम्मेदारी प्रकाश भाटी को सौंप कर सो गई। यह मामला 25 मई 2021 का है। आत्महत्या करने वाले युवक मनोज वैष्णव पु़त्र विष्णुदत्त वैष्णव निवासी हनुमान कॉलोनी, होटल राजमहल के पीछे सेन्दडा रोड ब्यावर के परिजन पिछले चार माह से प्रतिदिन पुलिस कार्यवाही से न्याय मिलने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन पुलिस ने एक भी कदम नहीं बढाते हुए किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है। थक हार कर वैष्णव का परिवार तीन सितंबर 2021 शुक्रवार को अजमेर पहुंचा और एडवोकेट शिवराज सिंह राठौड के माध्यम से पुलिस अधीक्षक के सामने अपनी व्यथा सुनाई। वैष्णव परिवार ने मीडियाकर्मियों को बताया कि वे मृतक मनोज के मामले की जांच उच्च अधिकारी से करवाना चाहते हैं क्योंकि जिस पुलिस अधिकारी के पास जांच लंबित है उसने अभी तक आरोपियों में से किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया है जबकि मृतक मनोज ने अपने सुसाईड नोट में आरोपियों को नामजद किया हुआ है। पीडित परिवार का कहना है कि आरोपी इसी तरह बेखौफ रहे तो एक दिन वो लोग उनके परिवार को भी धमकाना शुरु कर देंगें। पुलिस अधीक्षक अजमेर के सामने मृतक मनोज की बूढी मां प्रेम देवी, मनोज की पत्नि संगीता, मनोज के दो मासूम बच्चे दस वर्षिय पुत्र वीर तथा चौदह वर्षिय पुत्री राघवी, मनोज का बडा भाई निरंजन उपस्थित हुए। पुलिस अधीक्षक ने वैष्णव परिवार को न्याय दिलाने का आवश्वासन देते हुए संबंधित केस में कार्यवाही किए जाने को कहा है।
मामला यह है: –
हनुमान कॉलोनी राजमहल होटल के पीछे सेन्दडा रोड ब्यावर निवासी निरंजन वैष्णव पुत्र विष्णुदत्त वैष्णव ने जानकारी देते हुए बताया 25 मई 2021 को उनका छोटा भाई मनोज दिन को तीन बजे अपने कमरे में गया और अंदर से कमरा बंद कर लिया हम लोगों ने समझा कि वो सो रहा है लेकिन जब साढे पांच बजे तक आवाज देने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो मैंने पहले दरवाजे को धक्का दिया फिर भी खुला तो खिडकी का कांच तोडा तो देखा कि अंदर मनोज पंखें के कुंदे से लटका हुआ है। उन्होने ब्यावर सिटी थाना में सूचित किया तो पुलिस ने आकर मनोज को पंखे से झूलते मनोज को उतारा तब तक उसकी मृत्यू हो चुकी थी। पुलिस ने मनोज के शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने मनोज के जेब से सुसाईड नोट बरामद किया जिसमें उसने उन आरोपियों के नाम लिखे थे जिनकी वजह से उसने आत्महत्या करने पर मजबूर हुआ था। दूसरे दिन पुलिस ने धारा 306 के तहत मामला दर्ज किया। लेकिन आज तक पुलिस ने किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया है। निरंजन वैष्णव ने बताया कि उसका छोटा भाई मनोज प्रोपर्टी डीलर था, उसके साथ जसनगर जिला नागौर के परमाराम और विजयनगर की विमला साथ में प्रोपर्टी का काम करते थे। लॉकडाउन के कारण मनोज ने प्रोपर्टी का काम छोडकर खरवा के कप्तान काठात से जेसीबी मशीन गयारह महीने के लिए किराये पर ले ली थी। उस जेसीबी मशीन को अपने किसी मिलने वाले को किराए पर दे दी। 25 मई 2021 से एक दो माह पूर्व मनोज और जेसीबी मालिक कप्तान काठात के बीच विवाद हुआ। कप्तान मशीन वापस मांग रहा था जबकि मनोज का कहना था कि एग्रीमेंट गयारह माह का हुआ है तभी वापस करेगा। इसी बात पर विवाद बढता गया। दूसरी ओर मनोज 23 मई 2021 को सुबह विजयनगर गया जहां उसने अपने प्रोपर्टी के सहयोगी परमाराम और विमला से मिला। 24 मई 2021 की शाम को मनोज जब घर आया तो अस्वस्थ लगा, पूछने पर उसने बताया कि कुछ लोगों ने उसके साथ मारपीट की है। उसके पैरों, घुटनों और कमर पर चोटों के निशान थे। उसने खुलकर नहीं बताया कि किन लोगों ने मारपीट की और 25 मई को उसने आत्महत्या कर ली।
मनोज का हसंता खेलता परिवार बिखर गयाः –
मनोज के एक निर्णय से उसका हंसता खेलता परिवार बिखर गया है। पत्नि संगीता और दो बच्चों के लालन पालन की जिम्मेदारी फिलहाल बडे भाई निरंजन के कंधे पर आ गई है। मनोज के बूढे पिता विष्णुदत्त रिटायर्ड अध्यापक तथा हार्ट के मरीज है जिनकी पैंशन से उनकी दवा खर्च आदि चलता है। माता प्रेमादेवी स्वयं बीपी शुगर की मरीज हैं यह परिवार दो मंजिला मकान में साथ रहता है। माता प्रेमीदेवी ने बताया कि विष्णुदत्त वैष्णव को मनोज के आत्महत्या करने की खबर मिलते ही हार्ट अटैक हुआ था और मनोज की पंखें से झूलती लाश को उतारने से पहले पिता विष्णुदत्त को अस्पताल में भर्ती कराना पडा।
मृतक मनोज की पत्नि संगीत वैष्णव ने बताया कि पति मनोज के साथ खरवा के कप्तान काठात के बीच जेसीबी मशीन और लेने देन को लेकर विवाद था। कप्तान काठात घर आता था और धमकी देकर जाता था कि मैं कुछ भी करवा सकता हूं। मनोज घर में किसी को कुछ ज्यादा बताते नहीं थे लेकिन कप्तान काठात जब धमकी देकर जाता और फोन पर भी धमकाता तो हमें पता चला था कि जेसीबी मशीन को लेकर विवाद है। मनोज के दो मासूम बच्चे हैं। चौदह वर्षिय पुत्री राघवी कक्षा आठ की छात्रा है ने बताया पापा मुझे एडवोकेट बनाना चाहते थे और अब मैं एडवोकेट बन लोगों को न्याय दिलाउंगी। वहीं कक्षा पांच का छात्र दस वर्षिय पुत्र वीर पहले डॉक्टर बनना चाहता था लेकिन अब जब पिता मनोज के आरोपियों को खुले आम घूमते देख रहा है तो अब पुलिस इंस्पेक्टर बनना चाहता है।

संवाद , मोहम्मद नज़ीर क़ादरी