गाजियाबाद-DVNA। शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर साहित्य नव सृजन, गाजियाबादश् जो कि साहित्य एवं संस्कृति के प्रति समर्पित एक संस्था है, उसके तत्वावधान में कवियित्री गार्गी कौशिक की निवास सांगवान हाइट्स राजनगर एक्सटेंशन गाजियाबाद के क्लब में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विनित गोस्वामी, विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध गजलकार शिवकुमार बिलगरामी, विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध कवि राज कौशिक, विशिष्ट अतिथि अन्तर्राष्ट्रीय शब्द सर्जन संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर राजीव पांडेय के द्वारा ज्ञानदायिनी मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया। इस दौरान देश के दिग्गज प्रसिद्ध कवियों ने अपनी बेहतरीन रचनाएं प्रस्तुत करके समां बांध दिया। कवि सम्मलेन का संयोजन संस्था की संस्थापिका कवियित्री अनुपमा पांडेय श्भारतीयश् व कोषाध्यक्ष गार्गी कौशिक ने किया, कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कवि व संस्था के अध्यक्ष ओंकार त्रिपाठी ने की। इस शानदार कार्यक्रम में मंच संचालन सुप्रसिद्ध कवियित्री अनुपमा पांडेय भारतीय व कवियित्री गार्गी कौशिक ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की वंदना के साथ प्रसिद्ध कवियित्री गार्गी कौशिक ने की। कार्यक्रम की शुरुआत कवि बृज माहिर के देशभक्ति से ओतप्रोत वो किसी भी अहतराम का हकदार नहीं है, जिसे सर जमींने हिंद से प्यार नहीं हैष् के काव्यपाठ से हुई। कवि देवेंद्र शर्मा देव ने हाथ में हाथ है क्या ये सौगात है, जिंदगी की ये सबसे हसीं रात है गजल प्रस्तुत करके समां बांधने का कार्य किया।
दैनिक जागरण गाजियाबाद के पूर्व ब्यूरो चीफ व सुप्रसिद्ध कवि राज कौशिक ने ष्तुम्हारी खुशनसीबी है कि लूटा है गैरों ने, ये वो शहर है जहां अपने ही लुट जाते हैं, ने संमा बांधने का कार्य किया। सुप्रसिद्ध कवि शिवकुमार बिलगरामी हंसते रहते हो ग़म-ओ-रंज छुपाने के लिए, तुम भी क्या ख़ूब पहेली हो ज़माने के लिए ने संमा बांध दिया। देश के सुप्रसिद्ध कवि मासूम गाजियाबादी ने गीत गजल कविता सुन महफिल जाती झूम, गाजियाबादी शान है शायर श्री मासूम से अपने पाठ की शुरुआत करके संमा बांधने का कार्य किया।
कार्यक्रम में गंधर्व संगीत महाविधालय गाजियाबाद की निदेशक व सुप्रसिद्ध कवियित्री डॉक्टर तारा गुप्ता के काव्य पाठ साथ अपनों के जब भी खड़े हो गये, यूं लगा आज मैं भी बड़ी हो गयी, ने स्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बेहतरीन शायर व गजलकार कवि संजय जैन ने इंसानों की बस्ती में अब इंसान नहीं है, मंदिर में मूर्त तो है लेकिन भगवान नहीं हैं, के पाठ से समां को मंत्रमुग्ध करने का कार्य किया। साहित्य नव सृजन संस्था की संस्थापिका कवियित्री अनुपमा पांडेय भारतीय ने ष्फिजाओं में मोहब्बत की खुशबू है, के द्वारा लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुप्रसिद्ध कवियित्री गार्गी कौशिक ने तुझको चांहू मैं क्या जरूरत है, मेरे दिल में तेरी ही सूरत है, से अपने काव्य पाठ की शुरुआत करके संमा बांधने का कार्य किया।
कवियित्री मिनाक्षी भसीन दिल्ली ने अपना काव्य पाठ पथ का कंकर पूछ रहा क्यूँ ना माने हार, मैं बोली चुभन तेरी बने जीत का सार दोहे का साथ किया। कवियित्री मनीषा जोशी ने भगवान कृष्ण को समर्पित प्रेम भरी पिचकारी जियारा में ऐसी मारी, छंदों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने का कार्य किया। दस वर्षीय नन्हे कवि सक्षम वी कौशिक ने आरंभ है प्रचंड को सुनाकर दर्शकों का दिल जीत लिया। सात वर्षीय नन्हे कवि मुदित वी कौशिक ने वीर रस से ओतप्रोत प्रस्तुति मैं आजाद हूँ के द्वारा उपस्थित लोगों में जोश भरने का कार्य किया।
शास्वत साहित्य संस्थाश् की अध्यक्षा सुप्रसिद्ध कवियित्री सरिता जैन ने पैंतरे जब हवा के चलते हैं, सब दिये लड़खड़ा के जलते हैं, उनको भी आईने की आदत है, जो मुखौटा लगाकर चलते हैं ने अपने ओजस्वी काव्यपाठ से उपस्थित संमा को मंत्रमुग्ध कर दिया। युवा कवि अनुभव श्अनुभवीश् ने लोग टूट जाते हैं हंसने औ हंसाने में, अब तो अपने ही तरस नहीं खाते अपनों को रूलाने में, काव्यपाठ के द्वारा जमकर ताली बटोरने का कार्य किया। काव्यलोक संस्था के संस्थापक कवि राजीव सिंघल ने अपनी गजल दिल से कैसी शरारत हुई, कुछ कहें बिन अदावत हुई है, से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। दैनिक जागरण गाजियाबाद के ब्यूरो चीफ आशुतोष अग्निहोत्री का उपस्थित दर्शकों को कवि रूप देखने को मिला, उन्होंने अपने वीर रस से ओतप्रोत काव्यपाठ पुराणों की पुरातन सभ्यता के ज्ञान वाला हूँ, कदम रखें हैं चांद पर विज्ञान वाला हूँ, के द्वारा उपस्थित जनसमूह में जोश भरने का कार्य किया।
प्रसिद्ध कवियित्री डॉक्टर प्राची गर्ग ने संबंधों में कुछ गर्माहट लाये, चलों ख्वाहिशों को आगें लाये, के द्वारा अपने काव्यपाठ की शुरुआत की।
इस अवसर पर ट्रू मीडिया के संस्थापक ओमप्रकाश प्रजापति ने साहित्य नव सृजन संस्था के सभी सदस्यों की हौसलाअफजाई करते हुए कहा कि आज के समय में कवि माता-पिता व अन्य ज्वलंत मुद्दों पर विभिन्न रचना लिखते है, लेकिन आज समय की जरूरत है कि कवि प्रकृति के ऊपर लिखकर जनमानस को जागरूक करें।
इस अवसर पर संस्था की संस्थापिका सुप्रसिद्ध कवियित्री अनुपमा पांडेय भारतीय, अध्यक्ष ओंकार त्रिपाठी, सचिव बृज माहिर, संगठन मंत्री देवेंद्र सिंह देव व कोषाध्यक्ष गार्गी कौशिक ने उपस्थित समस्त कवियों व विशिष्ट अतिथियों का पटका पहनाकर स्वागत किया और संमा को चार चांद लगाने के लिए सभी दर्शकों का तहेदिल से आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अरूण कौशिक, स्वतंत्र पत्रकार दीपक कुमार त्यागी, एन. ए. जैदी, सुमन कुमार अग्रवाल, मनोज गुप्ता, अश्विनी कौशिक, मनीष कौशिक प्रदेश सचिव एनसीपी, अशोक रावल, सचिन त्यागी, नितिन त्यागी, संदीप त्यागी, मनीष त्यागी, मोहित त्यागी, शशांक त्यागी, आदि मौजूद रहे।
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