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अजमेर दरगाह में अब ऑनलाइन डाला जा सकता है नज़राना 

 

दरगाह के खादिमो ने जताया विरोध

अज़मेर । सूफी संत हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में अब ज़ायरीन ऑनलाइन भी नज़राना डाल सकते है इसके लिए दरगाह कमेटी ने दरगाह में रखीं नज़राना पेटियों पर बारकोड लगवा दिए है। क्योंकि ये टेक्नोलॉजी हर फील्ड में काम आ रही है और हर तरह के पेमेंट्स लोग आजकल ऑनलाइन ही करते है, ऐसे में दरगाह में भी अब ऑनलाइन नज़राना डाले जाने का इन्तिज़ाम दरगाह कमेटी ने कर दिया है जिससे ज़ायरीन दरगाह में रखीं नज़राना पेटियों पर लगे बारकोड को स्केन करके नज़राना डाल सकते है।लेकिन दरगाह कमेटी के इस कदम को उठाए जाने से दरगाह के कुछ खादिमो ने एतेराज़ जताया है और खादिमो की दोनों संस्थाओं अंजुमन सैय्यद जादगान ओर अंजुमन शेख जादगान से इस मामले में दखल देने की मांग की है।
वही अंजमुन सैय्यद जादगान सचिव वाहिद हुसैन अंगारा शाह ने कहा कि आस्ताने के बाहर रखी पेटियों के नज़राने पर सिर्फ खादिमो का हक है इस मसले पर दरगाह कमेटी के से बात की जायेगी। अंगारा,सेकेट्री,अंजुमन सैय्यद जादगान,दरगाह अजमेर आपको बता दें कि काफी वक्त से दरगाह के नज़राने को लेकर खादिमो,दरगाह कमेटी ओर दरगाह दीवान में विवाद चल रहा था जिसपर सुप्रीम कोर्ट के हुक्म पर हाई कोर्ट ने फैसला दिया था जिसके मुताबिक दरगाह की गुम्बद के अंदर रखी पीले रंग की पेटियों के नज़राना खादिमो ओर दरगाह दीवान के लिए है। गुम्बद के बाहर रखी पीले रंग की पेटियों का नज़राना खादिमो के लिए है। वही गुम्बद के अंदर ओर गुम्बद के बाहर रखीं हरे रंग की पेटियों का नज़राना दरगाह कमेटी का है जो दरगाह कमेटी दरगाह के रख रखाव के काम मे लेगी। इसके अलावा बाकी का चढ़ावा जैसे सोने चांदी का नज़राना वगेरह दरगाह नाज़िम या उनके प्रतिनिधियों को सौंपने का फैसला लिया गया था। इस हुक्म को साइन बोर्डों पर हिंदी,अंग्रेज़ी ओर उर्दू ज़बान में  लिखवाकर दरगाह में जगह-जगह लगवाए गए है जिससे ज़ायरीन इस को पढ़कर अपना नज़राना उसके अनुसार डाल सके।
दरगाह के ख़ादिम कुतबुद्दीन सखी ने कहा कि पूरे ख़ादिम समाज मे दरगाह कमेटी के नज़राना पेटियों पर लगाए गए बारकोड पर शिकायत है दरगाह कमेटी ओर अंजुमन में बातचीत होनी है उसके बाद क्या फैसला होता है ।
संवाद , मोहम्मद नज़ीर क़ादरी