गोरखपुर-DVNA। योगीराज गंभीरनाथ प्रेक्षागृह एवं संस्कृति केंद्र में मशहूर पर्यावरणविद माइक एच पांडेय ने लोगों को प्रकृति से प्रेम व पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। कहा कि आज पृथ्वी अपने अस्तीत्व के लिए तड़प रही है। हमने पृथ्वी का संतुलन बिगाड़ दिया है। मनुष्य की गतिविधियों ने जीवन चक्र को तहस नहस कर दिया है। हम सबको पृथ्वी, प्रकृति व हर जीव का आदर करना होगा। हमारी पृथ्वी संकट में है। बचाने में सहयोग कीजिए।
गोरखपुर वन प्रभाग और हेरिटेज फाउंडेशन की तरफ से आयोजित ‘फ़िल्म फॉर ह्यूमैनिटी’ शीर्षक से फ़िल्म ग्यामो: क्वीन ऑफ द माउंटेन की स्क्रीनिंग में बतौर मुख्य अतिथि माइक पांडेय ने वन-जीव संपदा के लिए शहादत देने वाले वनकर्मियों के बलिदान को याद किया। कहा कि जंगल से जल और जल से ही जीवन है। जंगल यानी वृक्षों के बिना इस धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि पृथ्वी पर साढ़े तीन अरब सालों के पर्यावरण संतुलन को हमनें बीते सौ सालों में असंतुलित कर दिया है। अभी भी समय है कि हम पृथ्वी का अस्तित्व बचाए रखने के लिए चेत जाएं और अधिक से अधिक वनक्षेत्र को बढ़ावा देने में अपना योगदान दें।
कोरोना संक्रमण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे जंगलों में औषधियों का खजाना है। यही नहीं ये वृक्ष-जंगल हमें मुफ्त में ऑक्सीजन देते हैं जिसके लिए अस्पतालों में मारामारी हम सबने कोविड काल में देखी है। उन्होंने गोरखपुर वन प्रभाग और प्राणी उद्यान की तारीफ की।
संचालन रेडियो जॉकी-रंगकर्मी नवीन पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम में प्राणी उद्यान के निदेशक डॉ. एच राजा मोहन, आईएफएस विकास यादव, हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी अनिल कुमार तिवारी, ट्रस्टी अनुपमा मिश्रा, ट्रस्टी नरेंद्र कुमार मिश्रा, मनीष कुमार, अरविंद विक्रम चौधरी, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी, पर्यावरणविद डॉ. शिराज वजीह, डॉ. विजाहत करीम, डॉ. महेंद्र सिंह, मंकेश्वर पाण्डेय, नवीन श्रीवास्तव , विजय श्रीवास्तव, रमेश दूबे, कार्तिक मिश्रा, अनिल सिंह, डॉ. सरोज, वन विभाग के सभी रेंज के रेंजर, डिप्टी रेंजर, वन रक्षक एवं प्राणी उद्यान के जू कीपर भी मौजूद थे। इस कार्यक्रम को एस्प्रा ने भी सहयोग किया था।
सनातन संस्कृति मे सृष्टि का आधार प्रकृति: डॉ अनीता
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ. अनीता अग्रवाल ने कहा कि सनातन संस्कृति मे सृष्टि का आधार प्रकृति है। इसमे जगत की सम्पूर्ण अवधारणा को समेकित करके निरूपित किया गया है। हमारी संस्कृति जब वसुधैव कुटुंबकम का उद्घोष करती है,तो इसमे केवल मनुष्य उपस्थित नही होता ,बल्कि पशु-पक्षी ,पेड़-पौधे, पहाड़, गन्धर्व और किन्नर सब शामिल होते है। इस लिए प्रकृति की रक्षा करना हम सब का नैतिक और आध्यात्मिक दायित्व भी है।
माइक एच पाण्डेय का हम सब के बीच आगमन सौभाग्य की बात: डीएफओ
प्रभागीय वनाधिकारी अविनाश कुमार ने कहा कि गोरखपुर में माइक एच पांडेय जैसे पर्यावरणविद का आना सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरकार के प्रयासों में जन सहभागिता जरूरी है। वन शहीद दिवस पर डीएफओ के अनुरोध पर सभी लोगों ने शहीद वनकर्मियों के लिए एक मिनट का मौन रख कर उन्हें याद किया।
बांस के बने उत्पाद को सभी ने सराहा
राष्ट्रीय बांस मिशन की ओर से लक्ष्मीपुर में बनाई गई बांस की सीएफसी में प्रशिक्षण लेने वाली ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित किए गए उत्पाद भी प्रदर्शित किए गए। लोगों ने इन उत्पादों की मुक्तकंठ से सराहना की। इस दौरान लोगों ने बड़ी उत्सुकता से फिल्म देखा। माइक पांडेय भी पर्यावरण के प्रति जिजीविषा के कायल दिखे। फिल्म स्क्रीनिंग के बाद पाण्डेय ने नन्हें बालक अरिहंत एवं बिहार से आए बिहार विद्युत नियामक आयोग के लोकपाल शिवानंद मिश्र के सवालों के जवाब भी दिए।
प्रकृति एवं पर्यावरण प्रेमियों का हुआ सम्मान
पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण की दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले डॉ गोविंद पाण्डेय (पर्यावरणविद एमएमएमयूटी), डॉ. रामचेत चौधरी (काला नमक धान संरक्षण एवं प्रसार), डॉ. अनीता अग्रवाल (पर्यावरण संरक्षण एवं वन्यजीव प्रेम), अनुपम अग्रवाल (संयोजक हेरिटेज एवियंस एण्ड वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर), चंदन प्रतीक (वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर), धीरज सिंह (वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर), संदीप श्रीवास्तव (हेरिटेज फोटोग्राफर), डॉ संजय कुमार श्रीवास्तव (पर्यावरण एवं पशु संरक्षण), डॉ. योगेश प्रताप सिंह (पर्यावरण एवं वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ), रोहित सिंह (पर्यावरण, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर), अश्वनी कुमार दूबे (वन्यजीव एवं पक्षियों पर डाक टिकट का संग्रह), रवि द्विवेदी (पौधरोपण एवं पर्यावरण संरक्षण), डॉ सीमा मिश्रा (वैज्ञानिक, पर्यावरण संरक्षण), विजय कुमार श्रीवास्तव रेंजर (वन माफिया का साहस से प्रतिरोध) को माइक एच पाण्डेय ने सम्मान पत्र, शाल एवं पुष्प देकर सम्मानित किया।
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