• प्रस्ताव को प्रदेश स्तर पर मिल चुकी है हरी झंडी
• प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के 3 वर्ष हुए पूरे
• गंभीर बीमारियों में कैंसर रोगी सर्वाधिक लाभान्वित
लखनऊ, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के पात्र लाभार्थी को उत्तर प्रदेश में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा देने की तैयारी है। केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर प्रदेश स्तर की सहमति व्यक्त की जा चुकी है। यह कहना है स्टेट एजेंसी फॉर कम्प्रेहेंसिव हेल्थ एंड इंटिग्रेटेड सर्विसेज (साचिस) की मुख्य कार्यपालक अधिकारी संगीता सिंह का। साचिस की सीईओ गुरुवार को सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रीसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं।
मुख्य कार्यपालक अधिकारी संगीता सिंह ने बताया कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत 23 सितंबर वर्ष 2018 को हुई। समय के साथ लोगों में जागरूकता बढ़ी है। इसके चलते प्रदेश में अब तक कुल 8,58,296 लोगों स्वास्थ्य लाभ लिया है। इसमें 57 प्रतिशत यानि 4,89,229 पुरुषों और 43 प्रतिशत यानि 3,69,067 महिलाओं ने अपना इलाज करवाया है।
उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारियों की श्रेणी में कैंसर, किडनी रोग हड्डी रोग, हृदय रोग, स्त्री प्रसूती रोग और न्यूरो सर्जरी का इलाज होता है। इस श्रेणी में सर्वाधिक मरीज कैंसर के 53,434 मरीज लाभान्वित हुए हैं। इसी प्रकार 18502 किडनी रोगी, 31801 हड्डी रोगी, 9393 हृदय रोगी, 35731 स्त्री प्रसूती रोगी और 4699 न्यूरो सर्जरी के रोगी अपना इलाज करवा चुके हैं।
मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने पीपीटी के माध्यम से खास प्रस्तुति दी। इसमें कुछ सवाल जैसे आयुष्मान योजना में क्या नए परिवारों को जोड़ा जा सकता है? लाभार्थी अपनी पहचान कैसे सुनिश्चित करें ? गोल्डन कार्ड जल्दी कैसे बनवाएं? योजना के तहत चिकित्सालय में कौन–कौन से लाभ प्राप्त कर सकते हैं ? पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के संयुक्त निदेशक डॉ राजेन्द्र कुमार ने स्वास्थ्य बीमा से संबंधित सरकारी प्रयासों और पहल पर प्रकाश डाला। वहीं डॉ बीके पाठक, महाप्रबंधक, पॉलिसी एंड पब्लिक हेल्थ ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को व्यावहारिक बनाने में आ रही चुनौतियों पर विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के शुरुआत में आकार फाउंडेशन ने सुरक्षित जिंदगी नामक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। इस मौके पर संस्था एक्सेस और सीफार के प्रतिनिधि मौजूद रहे।