नागरी प्रचारिणी सभा के सारस्वत समारोह में आये कवियों ने किया ज्ञानवर्धन
आगरा। (डीवीएनए)डॉ. मधु भारद्वाज के निबंध समाज, शिक्षा और भाषा के क्षेत्र में हो रहे क्षरण को व्यक्त ही नहीं करते, अपितु इनके प्रति चिंतित भी दिखाई देते हैं..
ये उद्गार प्रयागराज से पधारे भाषाविज्ञानी, मीडियाध्ययन विशेषज्ञ एवं समीक्षक आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने बुधवार शाम नागरी प्रचारिणी सभा आगरा के सारस्वत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्ति किये।
आगरा की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मधु भारद्वाज की निबंधात्मक कृति “कुछ निबंध आपके लिए” पर आयोजित समीक्षात्मक चर्चा में उद्बोधन देते हुए उन्होंने कहा कि इन 25 निबंधों में डॉ. मधु भारद्वाज के वृहद् चिंतन का धरातल साफ नजर आता है।
इससे पूर्व उन्होंने प्रथम सत्र में “मौखिक और लिखित भाषा प्रयोग में अशुद्धियांँ” विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि हमारा शिक्षित समाज शुद्ध हिन्दीभाषा सीखने के प्रति आग्रही नहीं दिखता। इसका मुख्य कारण उसके भीतर बैठा संकोच है। उसे चाहिए कि उस संकोच को निकाल बाहर करे और शुद्ध हिन्दी ग्रहण करने के प्रति अपनी इच्छाशक्ति को जाग्रत् करे।
इससे पूर्व आचार्य पंडित पृथ्वीनाथ पांडेय, समारोह की अध्यक्ष व स्वतंत्रता सेनानी रानी सरोज गौरिहार और उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पूर्व कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रोफेसर सोम ठाकुर ने माँ शारदे के चित्र पर माल्यार्पण व समक्ष दीप जलाकर समारोह का विधिवत शुभारंभ किया। श्रीमती शैल अग्रवाल “शैलजा” ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। नागरी प्रचारिणी सभा के मंत्री डॉ. चंद्रशेखर शर्मा ने सभा की स्मारिका मुख्य अतिथि आचार्य पृथ्वीनाथ पांडेय को भेंट की। समारोह में सभी गणमान्य साहित्यकारों ने डॉ. मधु भारद्वाज की पुस्तक “कुछ निबंध आपके लिए” का लोकार्पण भी किया।
समाजसेवी अनिल शर्मा ने मुख्य अतिथि आचार्य पंडित पृथ्वी नाथ पांडेय और नागरी प्रचारिणी सभा के उपसभापति डॉक्टर खुशीराम शर्मा ने नागरी प्रचारिणी सभा का परिचय दिया। आगरा पब्लिक स्कूल के चेयरमैन महेश चंद शर्मा ने सभी का स्वागत किया। सामाजिक कार्यकर्ता हरीश चिमटी ने संचालन किया।
इस दौरान गिरीश चंद शर्मा, अलका अग्रवाल आदर्श नंदन गुप्त, संजय गुप्त, आभा चतुर्वेदी, अंजू शर्मा, वीना अब्राहम सिंह और संकल्प भारद्वाज भी प्रमुख रूप से शामिल रहे।
आज भी अस्तित्व में हैं निबंध
डॉ. मधु भारद्वाज ने अपनी कृति के बारे में बताया कि इन निबन्धों में जीवन-दर्शन से सम्बन्धित कुछ आलेख हैं, तो कुछ राष्ट्रभक्ति, सरकार, संवेदनाओं एवं भावनाओं की भी बात करने वाले निबन्ध हैं। उन्होंने कहा कि निबन्धों का इतिहास बहुत पुराना है। अपने स्वरूप को बदलते हुए निबन्ध आज भी अस्तित्व में हैं।
आरबीएस कॉलेज की पूर्व प्राचार्य डॉ. सुषमा सिंह ने कहा कि मधु जी के लेखन में हिन्दी साहित्य में समकालीन विमर्श और पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी साहित्य के साथ वर्षों पीछे छूटे भक्ति साहित्य के पुनरावलोकन की आवश्यकता का अनुभव भी शामिल है।
वरिष्ठ कवि रमेश पंडित ने कहा कि डॉ. मधु भारद्वाज के निबंध या आलेख विभिन्न विषयों पर उनकी बेल और विचारों की श्रृंखला हैं। शिक्षा, भाषा, हिंदी का इतिहास, गैर हिंदी प्रदेशों में हिंदी की स्थिति के साथ-साथ उन्होंने राजनीतिक सरोकारों पर भी अपनी बात खुलकर कही है।
डॉ. अरुणा गुप्ता ने निबंधों में व्यक्त मूल्यपरक जीवन दृष्टि और सांस्कृतिक गौरव के प्रति गहरी आस्था को सराहा।
अशोक अश्रु ने मधु जी के बहुआयामी चिंतन को उकेरा। डॉ. शैलबाला अग्रवाल ने कहा कि इन निबंधों में समसामयिक समस्याओं पर चिंतन ही नहीं, समाधान भी पाठकों को संतुष्टि देता है।
रमा वर्मा, श्रीमती शैल अग्रवाल और डॉक्टर हृदेश चौधरी ने भी “कुछ निबंध आपके लिए” कृति पर सारगर्भित विचार व्यक्त कर डॉ. मधु के लेखन और चिंतन को सराहा।
संवाद:- दानिश उमरी