आगरा। (डीवीएनए)आज की लीला में नारद जी को मोह, रावण, कुंभकर्ण व विभीषण की तपस्या से प्रसन्न होकर आशीर्वाद व पृथ्वी माँ का गौस्वरूप धारण कर प्रभु नारायण से पुकार……
*देखि रूप मुनि बिरति बिसारी। बड़ी बार लगि रहे निहारी॥
लच्छन तासु बिलोकि भुलाने। हृदयँ हरष नहिं प्रगट बखाने॥1॥
नारद जी तपस्या व इन्द्र द्वारा नारद मुनि की तपस्या में विघ्न का प्रयास, नारद मुनि के मन में काम विजय का अहंकार उपजना, भगवान विष्णु द्वारा माया सृष्टि की रचनाओं ,भगवान विष्णु द्वारा नारद मुनि को वानर रूप देना…
स्वयंवर में नारद मुनि का अपमान और उनका रुष्ट होना, माया से विरत होने पर नारद मुनि का पश्चाताप ॥
रावण कुम्भकर्ण व विभीषण द्वारा ब्रह्माजी की तपस्या व ब्रह्मा जी का रावण को वरदान , ब्रह्माजी ने सरस्वती के द्वारा कुंभकर्ण की बुद्धि भ्रमित कर दी। कुंभकर्ण ने मतिभ्रम के कारण 6 माह तक सोते रहने का वरदान मांग लिया।
विभीषण को प्रभु भक्ति का आशीर्वाद
अंत में पृथ्वी का गोमाता का रूप धारण कर प्रभु नारायण से पुकार व भगवान का सभी देवी देवताओं को आश्वासन ।
इससे पूर्व लीला का शुभारंभ श्री राजीव कृष्ण जी (अपर पुलिस महानिदेशक, आगरा रेन्ज, ए.डी.जी ) द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
महंतश्री योगेश पुरी जी द्वारा पटका पहना कर व बाबा मन: कामेश्वर नाथ जी का श्री चित्र भेंट कर श्री राजीव कृष्ण जी का स्वागत किया गया। साथ में सरदार बंटी ग्रोवर (क्षेत्रीय महामंत्री अल्पसंख्यक मोर्चा बृज क्षेत्र उ.प्र.) भी उपस्थित रहे।साथ श्री विजय पाल (एस.पी. सिटी, अयोध्या) विशेष रूप से उपस्थित थे।
लीला मंचन के मध्य रवि माथुर (पार्षद), थानेश्वर तिवारी, धीरज जैन मडंल अध्यक्ष मन:कामेश्वर(भाजपा) , अमर गुप्ता उपाध्यक्ष , दीप्ति गर्ग, अनुभा, भावना, कविता पांडेय, रतिका तिवारी, सपना, वर्षा आदि का सहयोग रहा।
संवाद:- दानिश उमरी