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वैक्सीनेशन ही बचाएगा तीसरी लहर से – सर्वेक्षण के संकेत

अजमेर ।कोरोना की आशंकित तीसरी लहर से बचाव में टीकाकरण की प्रभावी भूमिका रहेगी। यह बात जेएलएन चिकित्सालय के श्वसन रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज गुप्ता द्वारा देशभर में किए सर्वे में निकलकर सामने आई।
डॉ. नीरज गुप्ता स्थानीय जेएलएन चिकित्सालय में वरिष्ठ आचार्य तथा श्वसन रोग विभाग में विभागाध्यक्ष है। उन्होंने बताया कि किसी भी संक्रमण की लंबी अवधि में उतार चढ़ाव की प्रवृत्ति को वैज्ञानिक तौर पर लहर के नाम से परिभाषित किया गया है। पहली व दूसरी लहर के बाद पूरे देश में इससे बचाव एवं लहर आने पर उससे निबटने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारियां की जा चुकी है। बचाव के लिए एक ओर जहां वैक्सीनेशन की खुराक 100 करोड़ के पार जा चुकी है, वहीं पहली व दूसरी लहर के दौरान एक बड़ी संख्या में संक्रमण होने से हर्ड इम्यूनिटी के प्रभाव के कारण तीसरी लहर से बचाव में कारगर साबित होने की संभावना है। तीसरी लहर की आशंका के बारे में विशेषज्ञ चिकित्सकों के विचार सर्वेक्षण में सामने आए। इस सर्वेक्षण में देश भर के 585 चिकित्सकों ने 16 प्रश्नों के द्वारा अपनी राय प्रकट की। यह सर्वेक्षण 26 सितम्बर से 5 अक्टूबर के मध्य किया गया।
उन्होंने बताया कि तीसरी लहर के बारे में 61.7 प्रतिशत ने माना कि तीसरी लहर आएगी। जबकि 38.3 प्रतिशत ने इसे नकारा। तीसरी लहर पिछली दो लहरों की तुलना में कम खतरनाक होगी। ऎसा 86.3 प्रतिशत वरिष्ठ चिकित्सकों का मानना है। जबकि 13.7 प्रतिशत चिकित्सक यह नहीं मानने वाले है। यह आंकडा सुकून भरा है। तीसरी लहर का संभावित समय 30.3 प्रतिशत के अनुसार अक्टूबर-नवम्बर, 44.1 प्रतिशत के अनुसार दिसम्बर-जनवरी तथा 20.5 प्रतिशत के अनुसार फरवरी से अप्रेल के मध्य हो सकता है।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि सर्वेक्षण के अनुसार तीसरी लहर से बच्चों के प्रभावित होने की संभावना 26.8 प्रतिशत है। जबकि सभी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित करने के बारे में 55.6 प्रतिशत चिकित्सकों ने संभावना जताई है। तीसरी लहर के कम प्रभावित होने वाले कारणों में पहले से संक्रमित होकर ठीक हुए व्यक्ति, टीकाकृत व्यक्ति, हर्ड इम्यूनिटी तथा कम घातक वायरस की प्रजाति द्वारा संक्रमण होना सामने आए है। टीकाकरण की प्रथम खुराक के मुकाबले दोनों खुराक लेने वाले 94.8 प्रतिशत अधिक व्यक्ति संक्रमण से बचे रहे।
उन्होंने बताया कि बूस्टर डोज के बारे में भी चिकित्सकों ने अपने विचार रखे हैं। तीसरी लहर से बचाव के लिए बूस्टर (तृतीय) डोज प्रभावी होने के बारे में 80.5 प्रतिशत चिकित्सकों ने अपनी सहमति जताई। इसके साथ ही 55.6 प्रतिशत चिकित्सकों ने दूसरी खुराक के 6 से 9 महीने के पश्चात् ही बूस्टर डोज देने के बारे में अपनी राय व्यक्त की। बूस्टर डोज के बारे में 52.9 प्रतिशत ने पूर्व में लगी वैक्सीन का ही उपयोग करने तथा 47.1 प्रतिशत चिकित्सकों ने कॉकटेल (मिश्रित) वैक्सीन का उपयोग करने की सलाह दी।
श्वसन रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज गुप्ता ने बताया कि सर्वेक्षण के पश्चात प्राप्त परिणामों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि टीकाकरण के द्वारा ही तीसरी लहर से बचा जा सकता है। इस सर्वेक्षण के अनुसार तीसरी लहर यदि आती है तो वह एक कमजोर लहर होगी। मयूटेंट वायरस इसका कारण हो सकता है। यह किसी भी उम्र को प्रभावित कर सकता है। किंतु बच्चों में संक्रमण की संभावना ज्यादा रहेगी।
संवाद , मोहम्मद नज़ीर क़ादरी