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भ्रांतियों को दूर करें, मिर्गी का उपचार कराएं

मिर्गी दौरे पड़ने पर ज्यादातर लोग झाड़फूंक पर रखते हैं विश्वास
मौजा या जूता सूंघाने से ठीक नहीं होती मिर्गी

आगरा, (डीवीएनए )।मिर्गी आने पर पर लोग जूता, मोजा सुंघाने लगते हैं लेकिन यह कोई इलाज नहीं है। मिर्गी आने पर चिकित्सक से परामर्श लें और मिर्गी से संबंधित भ्रांतियों से दूर रहें। यह कहना है न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रोबिन बंसल का। डॉ. रोबिन ने बताया कि मिर्गी को एपिलेप्सी भी कहते हैं। भारत में हर साल 17 नवंबर को नेशनल एपिलेप्सी डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद मिर्गी रोगियों के साथ ही उनके परिवार को भी इसके बारे में जागरूक करना है।

न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रोबिन बंसल बताते हैं कि मिर्गी एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें मरीज के दिमाग में अजीब सी तरंगें पैदा होने लगती हैं। मस्तिष्क में गड़बड़ी होने की वजह से व्यक्ति को बार-बार दौरे पड़ने रहते हैं। दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है और शरीर भी लड़खड़ाने लगता है। उन्होंने कहा कि इसका उपचार कराने से ये ठीक हो सकता है। इसलिए किसी को भी मिर्गी के लक्षण आएं तो वे तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। अपने नजदीकी न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाएं। समय रहते उपचार से ये ठीक हो जाता है।
मिर्गी के लक्षण
आंखों के आगे अंधेरा छा जाना
शरीर का अकड़ जाना
मुंह से झाग आना
बेहोश हो जाना
हाथ या पैर का लगातार चलना या झटके लगना
ये भी हो सकती हैं वजहें
जेनेटिक- जीन्स में गड़बड़ी होने पर और ब्रेन की नर्व्स का ठीक से काम न करने पर भी व्यक्ति मिर्गी से पीड़ित हो सकता है।
इंफेक्शन- जन्म के समय बच्चे को पीलिया हो गया हो या फिर उसके ब्रेन तक किसी भी वजह से पूरी ऑक्सीजन न पहुंच पाई हो।
गर्भ में चोट लगना- अगर मां के गर्भ में ही बच्चे को किसी तरह की चोट लग गई हो तो होने वाले बच्चे को मिर्गी की शिकायत हो सकती है।
स्ट्रोक या ब्रेन टीबी- अगर किसी व्यक्ति को दिमाग की टीबी हो गई हो तो भी उसे मिर्गी की शिकायत झेलनी पड़ सकती है।
किन स्थितियों में पड़ता है मिर्गी का दौरा
– अगर व्यक्ति बहुत तनाव में रहता हो तो उसे मिर्गी का दौरा पड़ सकता है।
– अगर किसी मिर्गी पीड़ित व्यक्ति ने अपनी दवा मिस कर दी है तो भी उसे दौरा पड़ सकता है।
– कम नींद लेना
– ज्यादा शराब पीना
– हॉर्मोन्स में बदलाव
– तेज रोशनी में आना
– ब्लड प्रेशर का कम हो जाना
दौरा पड़े तो यह गलती न करें
मिर्गी प्रभावित व्यक्ति को दौरा आने पर उसे रोकने की कोशिश न करें अन्यथा चोटिल कर सकता है।
दौरा आने पर खाने या पीने के लिए कुछ नहीं दें। एक घूंट पानी भी गले में अटक सकता है।
दौरा आने पर मुंह में कुछ भी रखने से बचना चाहिए।
संवाद , दानिश उमरी