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अजमेर में स्थित बड़े पीर साहब के चिल्ले पर दो दिवसीय उर्स सम्पन

अजमेर । गरीब नवाज की दरगाह के पीछे पहाड़ी पर बड़े पीर साहब के चिल्ले पर दो दिवसीय उर्स सम्पन हज़रत शेख अब्दुल क़ादिर ज़िलानी रदियल्लाहो अन्हो का दो दिन का उर्स कुल की रस्म के साथ खत्म हो गया। सूफी संत हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के शहर अजमेर की बड़े पीर की पहाड़ी पर पीराने पीर हज़रत शेख अब्दुल क़ादिर ज़िलानी ग़ौस पाक के दो दिन के उर्स में हज़ारो ज़ायरीन शरीक हुए।
हज़रत ग़ौस पाक की दरगाह इराक के बगदाद शरीफ में है, करीब 11 सौ साल पहले ये सूफी संत अल्लाह के हुक्म से लोगो की सेवा में दुनिया मे की । ग़ौस पाक का बचपना हमेशा करामातों में गुजरा जिसे देख कर लोग हैरत में रहते थे। ग़ौस पाक ने कब्रों से सैकड़ों मुर्दो को ज़िंदा कर देने की ढेरों करामातें दिखाई,इसके अलावा एक वक्त में 70 जगहों पर अपनी मौजूदगी भी दर्ज कराई। इसी तरह हज़ारों करामातें आपकी ज़िंदगी मे हुई। ग़ौस पाक के मुरीदों में कई आसमान में परवाज़ यानी मुरीद उड़ा करते थे। यही वजह है कि आपके मुरीद सारी दुनिया के कोने कोने में है जिन्हें कादरिया कहा जाता है। अजमेर शरीफ में ग़ौस पाक का एक चिल्ला पहाड़ी पर बना हुआ है जहाँ हर साल उर्स मेला लगता है और ग़ौस पाक के हज़ारों चाहने वाले हाज़री देते है। दोपहर चिल्ले शरीफ पर उर्स की रस्म मनाई और अकीदतमंदो ने चादर फूल पेश कर मन्नते मुरादे मांगी।

चिल्ले शरीफ के मुतवल्ली अफसर अली के मुताबिक घुमंतू जाति के लोधी पठान लोग एक दिन पहले आकर रात के अंधेरे में पंचायत लगा कर अपने पूरे साल के मामलात मन मुटाव दूर करते है। इसी तरह दिन में 12 बजे उर्स की महफ़िल में शाही क़व्वाल सूफियाना रंग पेश करते है। इसके बाद फ़ातेहखान ने दुआ कर कुल की रस्म अदा की। महफ़िल की सदारत मुतवल्ली अफसर अली ने अदा की और चिल्ले शरीफ में ख़िदमत कर सब ज़ायरीन की मन्नते मुरादे पूरी होने की दुआ मांगी। इसके बाद लंगरे आम हुआ और मुस्लिम इलाको में भी ग़ौस पाक की नियाज़ का सिलसिला पूरा दिन चला और गरीबो में ख़ैरात बांटी गई। उर्स के मौके पर ज़ायरीन ने हज़रत ग़ौस पाक से अपनी अक़ीदत का इज़हार किया।
संवाद , मोहम्मद नज़ीर क़ादरी