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मुस्तफा हैदर हसन जैसा आईना मिलता नहीं सैयद मोहम्मद अशरफ मियां

एटा, जनपद के मारहरा कस्बा स्थित खानकाहै बरकातिया में अहसनुल उलमा सालाना फातिहा का कुल की महफिल के साथ समापन हुआ।
मुफ्ती मोहम्मद हनीफ बरकाती ने अपनी तकरीरे पेश की जामिया अहसनुल बरकात के कई तालवे इल्मो ने अपनी अपनी नाते पाक तकरीर पेश की। कानपुर से तशरीफ़ लाए कासिम हबीबी ने भी अपनी मनकबद पढी ।
एमेरे हसन माहे मुज्जला हैं। तेरे नाम फैला उजाला शब ए तारीख में हर सूद जब भी मेरे अहसास ने सोचा है तेरा नाम, इसके बाद कलीम दानिश ने भी अपनी नात पेश की वो मेरा हसन है मेरा हसन है ।
खानकाहै बरकातिया के सज्जादा नशीन सैयद नजीब हैदर नूरी ने अपने खिताब में कहा कि अहसनुल उलमा का चेहरा बहुत ही नूरानी था और उन्होंने संदेश दिया की अपने लड़कों की शादी में दहेज ना मांगे लड़कियों की शादियों को आसान बनाएं और पढ़ा तेरी नस्ले पाक में है बच्चा बच्चा नूर का तू है एल ए नूर तेरा सब घराना नूर का इसके बाद सैयद मोहम्मद अशरफ मियां कादरी ने अपने अब्बा की शान में मन कबत पढ़ी मुस्तफा हैदर हसन जैसा आईना मिलता नहीं इश्क की चांदनी पर यह इसके इश्को मोहब्बत की मसनद रखी जा के मेरे हसन आज तशरीफ लाने को है ।
इसके बाद खानकाहै बरकातीया के सज्जादा नशीन सैयद अमीन मियां कादरी ने कुल की फातिहा पढ़ी और कोरोना के खत्म होने की दुआएं मांगी और देश में अमन और शांति की दुआएं मांगी ।
प्रोग्राम में सैयद मोहम्मद अमान मियां सैयद मोहम्मद उस्मान मियां सैयद मोहम्मद हैदर हसन सैयद मोहम्मद मोहसिन मियां जामिया अहसनुल बरकात के प्रिंसिपल व सभी स्टाफ व तलवा, फरीद नूरी, असलम बरकाती ,पूरनपुर के शकील अहमद बरकाती अपनी कमेटी के लोगो के साथ मौजूद रहे।
संवाद , शोएब कादरी