लखनऊ। आज बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व सांसद मायावती 86 आरक्षित विधानसभा सीटों की समीक्षा बैठक बसपा प्रदेश कार्यालय पर की। साथ ही मीडिया से बात-चीत की।
9 अक्टूबर कांशीराम के पुण्यतिथि के अवसर पर जिले के सभी अध्यक्षों को निर्देश जारी किए गए थे कि अपने-अपने जिलों में कैडर (पोलिंग बूथ कमेटी) बनाएं उनकी बंद कमरे में मीटिंग ले। साथ ही कमेटी के पदाधिकारियों के काम रिव्यू ले।
बीती 21 अक्टूबर से सभी कार्यकर्ता,पदाधिकारियों ने मेरी बताई गई गाइडलाइन के अनुसार अच्छा काम किया हैं। बाकी पोलिंग बूथ कमेटी जो कैडर बनाई गई है उसके लोगों से बराबर रिव्यू ले रहे हैं।
पश्चिमी यूपी के 4 मंडलों की कमेटी का रिव्यु लिया जिसमें सभी कमेटी के सदस्य व पदाधिकारी जमीनी स्तर पर अच्छा काम कर रहे हैं
उत्तर प्रदेश के सभी सुरक्षित विधानसभा की 86 जिसमें 84 SC और 2 ST सीटें जो रिजर्व है उनके विधानसभा अध्यक्षों के साथ समीक्षा बैठक प्रदेश पार्टी कार्यालय पर की गई है।
प्रदेश की सभी सुरक्षित विधानसभा सीटों को जिताने के लिए चर्चा की जाएगी।
मायावती ने कहा कि मुझे विधानसभा के इंचार्ज और अध्यक्षों से यह भरोसा है कि वह 2007 की तरह बीएसपी को इस बार भी भारी बहुमत से जीत दिलाएंगे। बसपा पार्टी अन्य पार्टियों की तरह विज्ञापन देकर हल्ला नहीं करती काम करने में विश्वास रखती है। इसीलिए हमारी पार्टी बिना घोषणा पत्र के जमीनी स्तर पर काम करना पसंद करती है।
जिले के चुनाव में जीत दिलाने के लिए प्रदेशवासियों को याद दिलाने के लिए फोल्डर तैयार किया गया है जो जन-जन तक पहुंचाया जाएगा।
इस फोल्डर के माध्यम से जनता तक बात पहुंचाई जाएगी कि बीएसपी जब सरकार में थी तो जमीनी स्तर पर कितना काम किया गया था। बहुजन सामज पार्टी द्वारा किये गए कार्यों का रूप बदलकर अन्य पार्टियां पेश कर रही हैं।
मौजूदा भाजपा सरकार ने सिर्फ विज्ञापन के जरिये अपने झूठे और कागजी कामों का ढिंढोरा पीटा है। बसपा ने जमीनी स्तर पर जनता के लिए काम किया है।
इस फोल्डर के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया जाएगा कि बीएसपी ने जमीनी स्तर पर क्या-क्या काम किए हैं और अगर आगामी चुनाव में हमारी सरकार बनती है तो हम इसी फोल्डर के आधार पर आगे भी विकास का काम उत्तर प्रदेश में करेंगे।
केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापस लिए हैं, जिसके लिए मैंने कई बार ट्वीट किया था साथ ही सरकार को चाहिए कि किसानों की छोटी छोटी समस्याएं हैं उसके लिए किसान संगठन से मिलकर बात करें और उनकी समस्या का हल निकाले ताकि किसान हंसी-खुशी अपने घर जा सके।
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