ट्रेंचिंग ग्राउंड के आस-पास का वातावरण होने लगा शुद्ध
अज़मेर । शहर को लिगेसी वेस्ट (पुराना एवं प्रत्यक्त कूड़ा) से निजात मिलने लगी है। आस पास का वातावरण धीरे धीरे शुद्ध होने लगा है ट्रोमल मशीन के द्वारा लिगेसी वेस्ट से कंक्रीट, पॉलीथिन एवं मिट्टी को अलग किया जा रहा है। साथ ही इससे निकलने वाला आरडीएफ (जलने वाला कूड़ा ईंधन) सीमेंट फैक्ट्रियों को बेचा जा सकेगा
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत माखुपुरा ट्रेंचिंग ग्राउंड पर लिगेसी वेस्ट के निस्तारण किया जा रहा है। प्रतिदिन 12 सौ से 15 सौ क्यूविक मीटर कचरे का निस्तारण किया जा रहा है। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर प्रतिदिन कचरे के निस्तारण से आस-पास का क्षेत्र प्रदूषण से मुक्त होने लगा है। उल्लेखनीय है कि माखुपुरा ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 3 लाख 60 हजार टन कचरा साफ करने हेतु प्लांट लगाया गया है। वर्तमान में अजमेर शहर में लगभग 250 टन कचरा प्रतिदिन उत्पन्न हो रहा है और उसे ट्रेंचिंग ग्राउंड में डाला जा रहा है। मशीन के द्वारा पुराने कूड़े से प्लास्टिक, पॉलीथिन आदि ज्वलनशील पदार्थ को अलग किया जाने लगा है। इसके अलावा मिट्टी और कंक्रीट को भी अलग-अलग किया जा रहा है। लिगेसी वेस्ट से निकलने वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल ईंधन के रूप में हो सकेगा। इस ईंधन की डिमांड सीमेंट फैक्ट्रियों में रहती है। वहीं कंक्रीट को सड़क एवं अन्य निर्माण कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकेगा साथ ही जो मिट्टी निकलेगी, उसे भी जरूरत के अनुसार उपयोग में लाया जा सकेगा या फिर बेचा भी जा सकता है। मशीन की क्षमता एक दिन में 18 सौ से दो हजार क्यूविक मीटर लिगेसी वेस्ट निस्तारण करने की है। प्लांट के आरंभ होने से शहर को न सिर्फ लिगेसी वेस्ट (पुराना एवं प्रत्यक्त कूड़ा) से निजात मिलने लगी है वरन अजमेर नगर निगम को बहुमूल्य जमीन भी खाली एवं समतल प्राप्त होगी जिस पर हरियाली आदि लगाकर शहर के वातावरण को शुद्ध हवा प्राप्त होगी। मशीन लगने के बाद अब तक 60 हजार क्यूविक मीटर कचरे का निस्तारण कर लिया गया है। वहीं एनजीटी के निर्देशों की भी पालना की जा सकेगी। स्वच्छता सर्वेक्षण में भी पूराने कूड़े से निजात पाने पर अजमेर शहर को अतिरिक्त मार्क्स मिलेंगे। कूड़े के निस्तारण से निकलने वाली मृदा की जांच कृषि अनुसंधान प्रयोगशाला से भी करवाई जा रही है, ताकि उसका उपयोग उसी प्रकार किया जा सकेगा।
निस्तारण की यह है प्रक्रिया
ट्रेंचिंग ग्राउंड पर टोमल (मशीन) के माध्यम से 25 एमएम से ऊपर के कचरे एवं 25 एमएम से नीचे के कचरे को अलग-अलग किया जा रहा है। 25 एमएम से कम वाले कचरे को पुन: 6 एमएम वाले ट्रोमल में डालकर 6 एमएम से कम का कचरा खाद्य एवं रिफ्लिंग के रूप में काम में लिया जाएगा। 25 एमएम से अधिक के कचरे में प्राप्त उपयोगी वस्तु जैसे प्लास्टिक, कागज आदि को उपयोग के अनुसार ठेकेदार द्वारा ही निस्तारित किया जाएगा। शेष रही मिट्टी को ट्रेंचिंग ग्राउंड में ही बिछाकर समतल किया जा रहा है। यहां पर गार्डन विकसित किया जाएगा। आगामी जून 2022 तक कार्य पूर्ण कर लिए जाने की संभावना है।
शुद्ध होने लगा है वातावरण
ट्रेंचिंग ग्राउंड में बार बार कचरे में आग लग जाती है और धुआं से आस-पास का वातावरण दूषित होता है। कचरे का परिशोधन होने से यहां का वातावरण शुद्ध होने लगा है और यहां पर बनने वाले वेक्टिरिया भी समाप्त होने लगे हैं। बरसात के दिनों में कचरे में पानी जाने के कारण भूमिगत जल दूषित होने की संभावना बनी रहती है। उससे भी पूर्ण रूप से मुक्ति मिलेगी।
संवाद , मोहम्मद नज़ीर क़ादरी