एक तरफ CM चन्नी पब्लिक को बिजली बिल में राहत पहुंचा रही है।वहीं अधिकारी अपने चहेते कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं
यूपी में ब्लैक लिस्ट हुई “पैस कम्प्यूटर” कंपनी के डाक्यूमेंट चेक किए बिना पंजाब में किया गया क्वालीफाई
पटियाला (मजहर आलम):- पंजाब बिजली विभाग (PSPCL) में घोटालों की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नाक के नीचे खुद के बिजली विभाग में अफसरों द्वारा बिलिंग टेंडरों में धांधली करके चहेते कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया है। इतना बड़ा स्कैंडल होने के बाद भी चन्नी सरकार खामोश तमाशाई बनी हुई है। बिजली विभाग सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के पास ही है।
मिली जानकारी के अनुसार यूपी में ब्लैक लिस्ट हुई “पैस कंप्यूटर” कंपनी यू.पी.पी.सी.एल द्वारा जिसे दक्षिणांचल में ब्लैक लिस्ट किया गया है उसके बाद भी पंजाब में पीएसपीसीएल बिलिंग विभाग में अधिकारियों से मिलीभगत करके बगैर उनके कागजात चेक किए क्वालीफाई कर दिया गया और बिजली अधिकारियों द्वारा चाहेते कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए पूरी कोशिशें की गईं।जबकि होना यह चाहिए कि जो कंपनिया टेंडर भर रही है ओर उन कंपनियो ने टेंडर में इक्स्पिरीयन्स के लिए जितने भी वर्क ऑर्डर लगाए है उन सारे वर्क ऑर्डर की पर्फ़ॉर्मन्स उन्ही बिभाग से लिखित में सीधे तोर पर Pspcl द्वारा मंगानी चाहिए थी लेकिन Pspcl के अधिकारियों ने कही से भी पर्फ़ोर्मन्स नही मंगाई ओर कंपनियो के साथ मिल कर टेंडर देने में लग गई । Pspcl ओर कम्पनियो को यह पता था अगर सारे वर्क ऑर्डर कि पर्फ़ोर्मन्स मंगा ली गयी तो यह कंपनिया कभी टेंडर में क्वॉलिफ़ाई नही कर सकती थी इसीलिए यह मिलीभगत की गई।
वहीं दूसरी ए टू जेड कंपनी को टेंडर नंबर 33/DB77/2011 तारीख 5.7.2011 को टेंडर दिया गया। जिसने 2013 में पी.एस.पी.सी.एल के वर्क आर्डर के क्लाज नंबर 4.26 का हवाला देते हुए पीएसपीसीएल की लिखित इजाजत के साथ सब कांट्रैक्ट कंपीटेंट कम्पनी को रायकोट, समराला, मलेरकोटला, धुरी, नाभा , गोविंदगढ़, दोराहा व अन्य जगहों का काम दे दिया गया। सब कांटेक्ट किसी भी वर्क आर्डर के काम को अच्छा करने के लिए दिया जाता है।
लेकिन 2017-18 में कंपीटेंट के कर्मचारियों के द्वारा पीएसपीसीएल की नाभा डिवीजन में बिलिंग डाटा के साथ छेड़-छाड़ करके लाखों रुपए का गबन किया गया। जिस के संबंध में उच्च अधिकारियों द्वारा जांच करवाई गई और इस संबंध में 11 जुलाई 2018 में नाभा में पीएसपीसीएल की तरफ से एफ आई आर दर्ज करवाई गई।जबकि कुछ अधिकारियों ने दोनों कंपनियों ए टू जेड और कंपीटेंट को ब्लैक लिस्ट करने और बैंक गारंटी कैश कराने के लिए कहा गया लेकिन उन कंपनियों को ब्लैक लिस्ट ना करते हुए सिर्फ ए टू जेड कंपनी की बैंक गारंटी रकम 2019 में पीएसपीसीएल द्वारा कैश करा ली गई। जबकि होना तो यह चाहिए था कि जो दोनो कंपनियो को वर्क ऑर्डर की हिदायत अनुसार ब्लैक लिस्ट करना चाहिए था।
परंतु वर्क आर्डर 30.4.2013को मेमो नंबर 1422-DB77 के तहत अमेनमेंट 2, के पुवाइंट नंबर 3 ओर 6 के अनुसार वर्क आर्डर की सारी शर्तों कंपीटेंट कंपनी पर भी लागू होती हैं। अधिकारियों के द्वारा इस नाम को क्यों उजागर नहीं होने दिया गया यह अपने आप में कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं।
2021 के टेंडर में गमन करने वाली कंपनी क्वालीफाई कैसे हो गई जब के विभाग की नजर में यह केस हाईलाइट था इससे साफ पता चलता है कि आला अफसरों द्वारा चहेते कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गईं और अब तक लगातार कोशिशें जारी हैं।
इसके संबंध में पीएसपीसीएल के अधिकारियों के सहयोग के बिना किसी अन्य विभाग से उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए जिससे यह पता चल सके कि इसमें कौन-कौन शख्स की मिलीभगत है। जिससे पीएसपीसीएल को वित्तीय नुकसान से बचाया जा सके। इस स्कैंडल की वजह से सरकार की छवि धुंधली होती जा रही है।,को बचाया जाए।