निरक्षर को साक्षर, साक्षर को सामान्य शिक्षा और शिक्षितों को उच्च शिक्षा से जोड़ने की अभिनव पहल
अजमेर । अपराधों के कारण समाज की मुख्यधारा से कट चुके सजायाफ्ता और अंडरट्रायल कैदियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए अजमेर सेन्ट्रल जेल में एक नया प्रयोग शुरू किया गया है। जेल में पाठशाला शुरू कर निरक्षर कैदियों को साक्षर किया जा रहा है। इसके साथ ही सामान्य शिक्षित कैदियों को उच्च शिक्षा व दूरस्थ शिक्षा के जरिए शिक्षा के उजियारे से जोड़ा जाएगा। जेल अधीक्षक श्रीमती सुमन मालीवाल ने बताया कि पिछले दिनों जेल में बंदियों के पास मिले मोबाईल, जरदा, तम्बाकू, सिगरेट आदि मिलने से यह प्रतीत होता है कि यहां के बंदी नशे में लिप्त थे, अपितु मोबाईल का प्रयोग कर संभवतः कई गैर कानूनी गतिविधियों को भी अंजाम दे रहे थे और लगातार अपराध के अंधकार के मार्ग पर चल रहे थे। जेल प्रशासन ने जिन्दगी की राह भटक चुके इन कैदियों को सुधार कर सन्मार्ग पर लाने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए कारागृह में पाठशाला स्थापित कर बंदियों में कुछ सीखने की ललक जागृत की जा रही है। शुक्रवार को जेल में पाठशाला का शुभारम्भ कर 35 बंदियों का नामांकन किया गया है। अब इन बंदियों को आधारभूत शिक्षा प्रदान की जाएगी। वहीं अन्य बंदियों को भी इससे जोड़ा जाएगा। कारागृह में सजा काट रहे शिक्षित कैदी अजीत सिंह को इन नेक कार्य में सहभागी बनाया गया है। शिक्षण अनुभव से अब अजमेर जेल के बंदियों में आखरजोत जालाई जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त बंदियों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए इन्दिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में और अधिक बंदी जोड़े जाने के प्रयास भी शुरू कर दिए गए है। अब तक 15 बंदियों का नामांकन उच्च शिक्षा के लिए इग्नू में किया गया है। श्रीमती मालीवाल ने अजमेर से पूर्व केन्द्रीय कारागृह कोटा में पदस्थापन के दौरान तीन वर्ष से भी कम समय में 1050 बंदियों की बुनियादी साक्षरता, 1200 से अधिक बंदियों को उच्च शिक्षा एवं 1100 से अधिक बंदियों को कम्प्यूटर एवं तकनीकी शिक्षा से जोड़ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। बंदियों को उच्च शिक्षा प्रदान करने में अहम भूमिका निर्वहन करने के लिए श्रीमती मालीवाल को इन्दिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है, उनके द्वारा बंदी कल्याण के लिए किए जाने वाले कार्यों केे लिए श्रीमती मालीवाल ने अपनी एक अलग छवि स्थापित की है, जो निश्चित ही अजमेर जेल के बंदियो के लिए हितकारी साबित होगी। केन्द्रीय कारागृह अजमेर में प्रारम्भ किए शैक्षणिक कार्यक्रमों में जहां एक और बंदी अनपढ़ कलंक धो कर आखरज्ञान प्राप्त कर समाज में सिर उठा कर चलने के काबिल बनेंगे। वहीं शिक्षा से जुड़ने के बाद उनकी आपराधिक मानसिकता में परिवर्तन होगा और निश्चित ही समाज में अच्छे नागरिक के रूप में स्थापित हो सकेंगे।
संवाद, मोहम्मद नज़ीर क़ादरी