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माफ़ियावादी पार्टी होना चाहिए समाजवादी पार्टी का नाम : ब्रजेश पाठक

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के मूल में ही माफ़ियावाद, अराजकतावाद, अपराधवाद और भ्रष्टाचारवाद शामिल है। और, जो गुण मूल में होते हैं वह बदलते नहीं हैं। यही कारण है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपनी पार्टी की पुरानी परिपाटी के मुताबिक अपराधी व माफिया ही पसंद हैं। वास्तव में समाजवादी पार्टी का नाम  माफियावादी पार्टी हो जाना चाहिए ।

यह बातें प्रदेश सरकार के विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने कही। श्री पाठक पूर्वांचल के माफिया, गोरखपुर के गोरखनाथ थाने के हिस्ट्रीशीटर एवं पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के कुनबे (विधायक विनय शंकर तिवारी, पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी व विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय) के समाजवादी पार्टी में शामिल होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। रविवार को जारी एक बयान में प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हरिशंकर तिवारी और उनके कुनबे के इतिहास और कारनामों से जनता भली-भांति वाकिफ है। पूर्वांचल में इस परिवार के आवास को जिस “हाता” के नाम से जाना जाता है,उसे लोग अपराध की नर्सरी भी समझते रहे हैं। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के पहले तक यह परिवार गोरखपुर और आसपास के जिलों में सत्ता संरक्षित अपराध उद्योग का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर हुआ करता था। सरकारी ठेकों में हस्तक्षेप से कमाई भी इनका धंधा था। योगी सरकार में अन्य माफिया की तरह अब इनकी भी हेकड़ी गुम है। पूर्व में इस कुनबे की तरफ से किए गए एक बड़े बैंक घोटाले का खुलासा इस सरकार में हुआ है जिस पर कानून अपना काम कर रहा है। बैंक ऑफ इंडिया समूह के 750 करोड़ रुपये समेत अलग अलग बैंकों से लोन के नाम पर 1100 करोड़ रुपये गटक जाने वाले इस परिवार की कम्पनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज के खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी हो चुकी है। दोनों केंद्रीय संस्थाओं की तरफ से विधायक विनय शंकर तिवारी समेत पूरे परिवार के खिलाफ धोखाधड़ी व मनी लांड्रिंग मुकदमा दर्ज किया गया है, जांच जारी भी है।  श्री पाठक ने कहा कि अपने इन कारनामों को छिपाने के लिए ये माफिया चाहे किसी भी दल में जाकर पनाह मांगें, केंद्र व यूपी सरकार किसी भी अपराधी को जनता की गाढ़ी कमाई हड़पने नहीं देगी।

अखिलेश द्वारा हर बात में श्रेय लेने की आदत पर ब्रजेश पाठक ने कहा कि पार्टी का नाम ही नहीं, अखिलेश को भी अपना नाम बदल कर श्रेय यादव रख लेना चाहिए। श्री पाठक ने कहा कि 2017 में जनता द्वारा बुरी तरह नकारे गए अखिलेश यादव की आज की स्थिति पर  तरस आता है। अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी जैसे माफिया की पैरवी करने वाले अखिलेश अपराधियों पर योगी सरकार की सख्ती से सबक लेने की बजाय पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ माफिया हो को अपना हमराह बना रहे हैं। माफिया पर नकेल सरकार कस रही है और माफ़ियावादी पार्टी को दोबारा सबक सिखाने के लिए जनता भी बेकरार है। आगामी विधानसभा चुनाव के पहले माफिया की फौज खड़ी कर अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं लेकिन उन्हें एकबार 2017 का चुनाव परिणाम भी याद कर लेना चाहिए जब उनकी सरकार द्वारा पोषित माफियागिरी से त्रस्त होकर जनता ने उन्हें कुर्सी से उठाकर फेंक दिया था। जनता को 2017 से योगी सरकार में अपराध व गुंडागर्दी से मुक्ति मिली है। ऐसे में अखिलेश लाख माफिया-अपराधियों को अपनी साइकिल पर बैठा लें, माफ़ियावादी सरकार बनाने की उनकी मंशा पूरी नहीं होने वाली।

उन्होंने कहा सपा अपने नारे को संशोधित कर लें क्योंकि यह वही सपा है। यह वही सपा है जो मुख्तार अंसारी के साथ है, यह वही सपा है जो आतंकवादियो की पैरवी करती थी, यह वही सपा है जिसके अपराधी पुलिस अधिकारियों को कार के बोनट पर घुमा कर बेइज़्ज़त करते थे।

 ब्रजेश पाठक ने  अखिलेश यादव यादव की उस टिप्पणी का मखौल उड़ाया जिसमें उन्होंने कहा कि कहीं सरकार का बुलडोजर सपा की तरफ़ न मुड़ जाए। प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री ने कहा यह तो अच्छी बात है कि अखिलेश बुलडोजर से डरते हैं लेकिन इस बार उन्हें जनता के बुलडोजर से डर लगना चाहिए जो उन्हें चुनाव में ध्वस्त करने के लिये तैयार है।

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