लखनऊ। योगी सरकार का गोवंश संरक्षण अब लाखों लोगों के लिए रोजगार का मजबूत माध्यम बन गया है। गाय गोबर से उपले, खाद या बॉयोगैस बनाने के काम अलावा यह अब कमाई का भी बड़ा जरिया बन गया है। प्रदेश में जहां एक तरफ प्रयागराज के बायोवेद कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान शोध संस्थान में गोबर से बने उत्पादों को बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ आगरा समेत प्रदेश के कई जेलों में कैदी गाय गोबर की लकड़ी यानि गोकाष्ठ, गमले, अगरबत्ती, मोमबत्ती और कूड़ादान बनाकर रोजगार का सृजन कर रहे हैं।
योगी सरकार द्वारा प्रदेश में ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में 5379 बनाए गए गो-आश्रय स्थल अब लाखों लोगों को रोजगार का अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री सहभागिता योजना से कुपोषित परिवारों को 103785 गोवंश दिए गए हैं। इन गोवंश के दूध से योगी सरकार के ‘स्वस्थ परिवार सुखी परिवार’ की सोच को मजबूत कर रहे हैं तो इस गोवंश से अपने परिवार के भरणपोषण का भी माध्यम बना रहे हैं।
रोजगार को गति देने के लिए प्रयागराज जिले स्थित कौड़िहार ब्लॉक के श्रींगवेरपुर के बायोवेद कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान शोध संस्थान में गोबर से बने उत्पादों को बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। उत्तर प्रदेश समेत अन्य प्रदेशों के के कई हजार लोग इसका प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। संस्थान में गोबर की लकड़ी भी बनाई जाती है, जिसे गोकाष्ठ कहते हैं। इसमें लैकमड मिलाया गया है, इससे ये ज्यादा समय तक जलती है।
वहीं जनपद आगरा की जिला जेल में बंद कैदी अन्य जनपदों के कैदियों के लिए उदाहरण बने हुए हैं। ये कैदी जेल के अंदर ही गाय के गोबर से बनी लकड़ी यानि गोकाष्ठ बनाते हैं। फ़िरोज़ाबाद के स्वर्ग आश्रम में भी इसी गोकाष्ठ का प्रयोग हो रहा है।
गोबर से मूल्यवर्धित वस्तुओं के निर्माण से अर्थोपार्जन
गोकाष्ठ के बाद अब गोबर से बना गमला भी काफी लोकप्रिय हो रहा है। गोबर से गमला बनाने के बाद उसके ऊपर लाख की कोटिंग की जाती है। इसके साथ ही गाय के गोबर, मूत्र में लाख के प्रयोग से कई मूल्यवर्धित वस्तुएं बनाई जा रही हैं। गोबर का गमला, लक्ष्मी-गणेशकी मूर्ति, कलमदान, कूड़ादान, मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती, जैव रसायनों का निर्माण, मोमबत्ती एवं अगरबत्ती स्टैण्ड आदि शामिल हैं।
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