विनोद मिश्रा, बांदा। जिले की नरैनी विधानसभा में क्या सपा-बसपा के गठबंधन के तहत रालोद की महत्व पूर्ण भूमिका होगी? क्या गठबंधन से प्रत्याशी रालोद का होगा?यह चर्चायें पूरे विधान सभा में जन चर्चा बन चुकी हैं। इलाके के हर-गांव कस्बे में रालोद से टिकट मांग रहे बुंदेलखंड अध्यक्ष वीरेंद्र साक्षी का जनता में चुंबकीय आकर्षण से भाजपा-सपा के टिकटार्थी तो चिंत्तित हैं ही। सपा से टिकट मांग रहे दो बार चुनाव लड़ चुके भरत लाल दिवाकर एवं बसपा से निष्कासित और सपा में समाहित सरकार के पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद का अंदर हीं अंदर मनोबल टूट सा गया बताया जा रहा हैं! आश्चर्य जनक स्थिति तो यह हैं की इस विधान सभा का 75 प्रतिशत जमीनी स्तर पर नेता या कार्यकर्ता रालोद के वीरेंद्र साक्षी के नाम की माला सी जप रहे हैं।क्योकि रालोद के वीरेंद्र साक्षी की बेदाग लोकप्रियता इन्हे अपना दामन झांकने के लिये मजबूर कर रही हैं। नरैनी क्षेत्र के भ्रमण पर जो माहौल सामने आ रहा हैं उससे तो यही निष्कर्ष सा निकल रहा हैं की जहां कथित तौर पर जनता क्षेत्रीय विधायक राज करण कबीर से खार खाये बैठे हैं लगभग वैसी हीं हालत भरत लाल दिवाकर की भी हैं। पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद विशेष कर सवर्ण और पटेल जातियों के गले नहीं उतर रहे।
पटेल समाज का बड़ा तबका यह मान कर चलता हैं की चित्रकूट में दस्यु रहे ददुआ के सहयोग से इन्होंने कथित तौर पर तीन बार विधानसभा का चुनाव जीता फिर अनबन होने पर छल से काउंटर दिखा दिया। इसके चलते कुर्मी समाज जन चर्चा के मुताबिक उन्हें पसंद नहीं करता। बताते हैं की लोधी समाज भी इसी सोच की राह पकड़े हैं। लोधी समाज रालोद के वीरेंद्र साक्षी के साथ निरंतर संपर्क में बना उनकी हौसला आफजाई करता दिखता हैं। रालोद द्वारा आयोजित कार्यक्रम जन सहभागिता के प्रत्यक्ष उदाहरण बन गये हैं
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