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यूपी में चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध की उठी मांग

*आगरा के सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र
चुनावी गतिविधियां हो सकती हैं घातक

देशभर में कोविड और इसके नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron cases in India) के बढ़ते मामलों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। कोविड की दूसरी लहर से उबरने के बाद पिछले 4-5 महीने में जो जीवन सामान्य हो पाया था, वह अब धीरे-धीरे फिर तीसरी लहर (Covid Third Wave) के अंधेरे की तरफ बढ़ रहा है। सरकारों ने भी अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। मध्य प्रदेश के बाद चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश में भी नाइट कर्फ्यू (Night Curfew in UP) का ऐलान कर दिया गया है। रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक प्रदेश भर में नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। इसके अलावा सरकार (UP Covid guidelines) ने शादियों में अधिकतम 200 मेहमानों की सीमा तय कर दी है। जबकि राजनीतिक पार्टियों की चुनावी रैलियों में जमकर भीड़ जुटाई जा रही है। रैली की जो तस्वीरें सामने आईं उनमें शायद ही कोई मास्क लगाए दिखा। चुनावी रैली, जनसभा और रोडशो पर प्रतिबंध लगाने के लिए आगरा के सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने यूपी चुनाव आयोग को पत्र लिखा है।

फरवरी में पीक पर होगा कोरोना
इसी साल अप्रैल से जून के बीच आई कोविड की दूसरी लहर से शायद ही कोई हो जो अछूता रहा हो। शायद ही कोई हो जिसने किसी रिश्तेदार, करीबी, परिचित, पड़ोसी या दोस्त को न खाया हो। कई रिसर्च और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि देश में जल्द ही कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक शोधकर्ताओं ने अपनी नई स्टडी में अनुमान जताया है कि तीन फरवरी को देशभर में कोरोना केस पीक पर होंगे। राजनीतिक दल रैलियां, जनसंपर्क, रोडशो आदि खूब करेंगे। इससे कोरोना संक्रमण फैल सकता है। चुनाव जनमानस के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

अखबार टीवी के जरिए करें प्रचार
नरेश पारस ने चुनाव आयुक्त से मांग की है कि यूपी चुनाव के प्रचार में राजनीतिक पार्टियों की ओर से भीड़ इकट्ठा कर चुनावी रैलियां करने पर रोक लगाई जाए। तीसरी लहर से जनता को बचाने के लिए राजनीतिक पार्टियां टीवी और अखबारों के जरिए चुनाव प्रचार करें। पार्टी कार्यालयों में भी कार्यकर्ताओं की संख्या सीमित रहे। पार्टियों की चुनावी सभाएं व रैलियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं, जिससे कोरोना संक्रमण न फैल सके।
संवाद:- दानिश उमरी