राजनीति

संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ने के लिए देश इंदिरा गांधी का ऋणी है- शाहनवाज़ आलम

 

कल 3 जनवरी को संविधान में समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़े जाने की 44 वीं वर्षगांठ पर हर ज़िले में कार्यक्रम करेगी अल्पसंख्यक कांग्रेस

स्पीक अप # 28 में 3 जनवरी के महत्व पर हुई बात

लखनऊ। पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने संविधान के प्रस्तावना में 42 वां संशोधन करके समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ा था जो 3 जनवरी 1977 से अमल में आया। आज वंचित तबक़ों और अल्पसंख्यक वर्गों को जो भी अधिकार हासिल हैं वो इंदिरा गांधी जी के इस क़दम की ही देन हैं। आज भाजपा संविधान से इन्हीं शब्दों को हटाने की कोशिश कर रही है। लेकिन कांग्रेस इस साज़िश को कभी सफल नहीं होने देगी।

ये बातें आज अल्पसंख्यक कांग्रेस नेताओं द्वारा स्पीक अप कैंपेन की 28 वीं कड़ी में कही गयीं। फेसबुक लाइव के ज़रिये हर रविवार को स्पीक अप अभियान चलाया जाता है।

अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पूंजीपतियों, सामंती और सांप्रदायिक शक्तियों की मंशा को भांप कर ही देश की एकता और आखंडता को बचाने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में यह शब्द जोड़े थे। जिसे संसद भी बदल नहीं सकती। यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी केशवानंद भारती केस और एस आर बोम्मई केस में स्पष्ट कर दिया है कि संविधान की प्रस्तावना में भारतीय लोकतंत्र के मूल तत्व निहित हैं जिसे किसी भी स्थिति में बदला नहीं जा सकता। आज पूरा देश इंदिरा गांधी जी के इस योगदान का ऋणी है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि संविधान में सेकुलर और समाजवाद शब्द जोड़े जाने की 44 वीं वर्षगांठ पर अल्पसंख्यक कांग्रेस अल्पसंख्यक बहुल मोहल्लों विशेष तौर से मदरसों में युवाओं को इंदिरा गांधी के इस महान योगदान के बारे में जानकारी देगी और लोगों से संविधान की प्रस्तावना का सस्वर पाठ कर संविधान को बचाने का संकल्प दिलवायेगी।