लखनऊ :उत्तर प्रदेश के पशुधन, दुग्ध विकास एवं मत्स्य विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने अपने आवास पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के पशुपालकों को उनके द्वार पर पशुधन की त्वरित चिकित्सा, सुरक्षा एवं सेवा उपलब्ध कराने के लिए मोबाईल वेटेरिनरी यूनिट का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होंनें भारत सरकार एवं राज्य सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार की योजनान्तर्गत प्रत्येक एक लाख पशुधन की संख्या पर एक मोबाईल यूनिट की स्थापना के दृष्टिगत 520.37 लाख कुल गाय एवं भैंसों की संख्या के सापेक्ष 520 मोबाईल वेटेरिनरी यूनिट की स्थापना की जा रही है, जिसका संचालन प्रदेश में पशुचिकित्सा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
पशुधन मंत्री ने कहा कि मोबाईल पशुचिकित्सालयों की स्थापना एवं संचालन से कृषकों/पशुपालकों को पशुधन की सुरक्षा के प्रति सुगमता होगी तथा पशुपालकों को उनके द्वारा पर गुणवत्तायुक्त सेवाओं की ससमय उपलब्धता से वे लाभान्वित होगें। यह योजना प्रदेश सरकार की पशुधन सुरक्षा की नीति को कारगर बनाने में सहायक होगी। इस कार्यक्रम से प्रदेश के पशुपालकों का आर्थिक उन्नयन भी सुनिश्चित होगा। वर्तमान में पशुधन गॉंव के किसान एवं पशुपालकों की आर्थिक उन्नति का प्रमुख साधन बन गया है। विभिन्न पशुधन विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में पशुचिकित्सा एवं पशु स्वास्थ्य महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन कर रहा है।
पशुधन मंत्री ने कहा कि प्रदेश अंतर्गत 520 मोबाईल वेटेरिनरी यूनिट का आवंटन जनपदवार कर दिया गया है तथा समस्त जनपदों को इसकी जानकारी भी उपलब्ध करा दी गयी है। उन्होंने कहा कि आवंटित मोबाईल वेटेरिनरी यूनिट को जनपद में इस प्रकार व्यवस्थित एवं संचालित किया जा रहा है कि जनपद के सूदूर ग्रामीण अंचलों में निवास कर रहे पशुपालकों द्वारा पाले जा रहे पशुओं को आवश्यकता के समय त्वरित एवं ससमय सुविधा उपलब्ध हो सके।
चौधरी ने कहा कि पशुधन के परिवहन में पशुपालकों को अत्यधिक कठिनाई होने के दृष्टिगत वर्तमान में विभाग द्वारा कृत्रिम गर्भाधान एवं टीकाकरण का कार्य पशुपालकों के द्वार पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी के साथ-साथ पशुपालकों के द्वार पर विशेषकर बीमार पशुधन की चिकित्सा व्यवस्था हेतु पशु चिकित्सा/लघु शल्य चिकित्सा एवं अन्य समानान्तर कार्यों हेतु वर्तमान में मोबाईल पशु चिकित्सा सेवाओं की जनमानस में मॉग है जो निश्चित ही पशुपालकों की समस्याओं को दूर करेगी।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश पशुधन संख्या के दृष्टिकोण से देश का सबसे बडा़ प्रदेश है, जहॉ पर 2019 की पशुगणना के अनुसार 190.20 लाख गौवंशीय, 330.17 लाख महिषवंशीय, 09.85 लाख भेड़, 144.80 लाख बकरी, 04.08 लाख सूकर एवं 125.16 लाख (कुक्कुट) हैं। प्रदेश में उपलब्ध कुल पशुधन संख्या के 70 प्रतिशत पशुओं का पालन-पोषण लघु, सीमांत कृषकों एवं भूमिहीन कृषि मजदूरों द्वारा किया जा रहा है। इस हेतु विभागीय योजनाओं में उक्त श्रेणी के कृषक परिवारों के साथ-साथ समाज के कमजोर वर्ग पर विशेष ध्यान केन्द्रित कर उनकी आय दोगुनी किए जाने हेतु विभागीय कार्यक्रमों द्वारा सहयोग प्रदान किया जा रहा है। पशुधन क्षेत्र विदेशी मुद्रा अर्जन का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है, डेयरी, मांस, ऊन, पोल्ट्री और अन्य मूल्यवर्धित उत्पादों के निर्यात के लिए प्रदेश में विकास की अपार संभावनाएं है।
कार्यक्रम में पशुधन विभाग के निदेशक, प्रशासन एवं विकास, डॉ0एस0के0 मलिक,, निदेशक, रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र, डा0 इन्द्रमणि, अपर निदेशक-गोधन, डॉ अरविंद कुमार सिंह तथा अपर निदेशक-नियोजन आदि अधिकारी उपस्थित थे।
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