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बारिश अब बन गई आफत : नौ लाख हेक्टेयर फसल को खतरे की घंटी!

विनोद मिश्रा
बांदा।
पश्चिमी विक्षोभ से शुरू हुई बारिश शनिवार को लगातार तीसरे दिन भी जारी रही। मंडल के चारों जिलों में 9 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबा में बोई गई तिलहन और दलहन की फसलों के लिए खतरे की घंटी है। थोड़ा भी पानी और बरसा तो किसानों को इन फसलों से हाथ धोना पड़ेगा।

72 घंटे के अंदर लगभग 46 मिलीमीटर बारिश का औसत दर्ज किया गया। आर्द्रता 85 फीसदी बढ़ने के साथ ही गलन भरी ठंड भी कहर ढा रही है। आम दिनचर्या पूरी तरह अस्त-व्यस्त है।

अधिकतम और न्यूनतम पारे में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ। यह क्रमश: 17 व 16 डिग्री सेल्सियस पर है। 13 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती रही ठंडी हवाएं लोगों को ठिठुराती रहीं।

ट्रेनों और बसों में यात्री गिने-चुने नजर आए। सड़कों और बाजारों में भी भीड़ नदारद है। मौसम विभाग के मुताबिक रविवार को न्यूनतम तापमान में दो डिग्री की और गिरावट आएगी। बारिश के आसार बने रहेंगे।

मंडी समिति में किसानों ने धान को पानी से बचाने के तमाम उपाय किए, लेकिन वह नहीं बचा सके। दो दिन की बारिश में किसानों का धान पानी में भीग गया है। उधर, ट्रैक्टर ट्रालियों पर लदे धान के बोरों में अन्ना मवेशी मुंह मारकर क्षतिग्रस्त कर रहे हैं।

किसानों का कहना है कि जल्द ही धूप न निकली तो भीग चुका धान सुखा नहीं सकेंगे और वह खराब हो जाएगा। उधर, मंडी सचिव प्रदीप रंजन का कहना है कि कई टिनशेड खाली पड़े हैं। किसान उसके नीचे ट्रालियों को खड़ा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसान क्रय केंद्र के पास से धान हटाना नहीं चाहते। हालांकि ट्रालियों को तिरपाल से ढका गया है।

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