सुजानपुर, अमरगढ़ समेत छ: विधानसभा सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार घोषित किए जाएं : शाही इमाम पंजाब
लुधियाना, : पंजाब में 14 फरवरी को होने जा रहे चुनाव को लेकर आज यहाँ पंजाब के मुसलमानों के मुख्य धार्मिक केंद्र जामा मस्जिद लुधियाना में मजलिस अहरार इस्लाम हिन्द पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व शाही इमाम पंजाब मौलाना मुहम्मद उसमान लुधियानवी ने कहा कि पंजाब में अल्पसंख्यक समुदाय की समस्याओं को गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है । शाही इमाम ने कहा कि राज्य में चुनाव लड़ रही राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियों ने कभी भी अल्पसंख्यकों के लिए चुनाव मेनिफेस्टो में कब्रिस्तानों के सिवा कोई बात नहीं की। शाही इमाम ने कहा कि प्रदेश में मुसलमान आज सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों में इस समुदाय के लोगों को अभी तक वोट प्रतिशत के हिसाब से कोई नुमाइंदगी नहीं मिली है। शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उसमान लुधियानवीं ने कहा कि मैं पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष स. नवजोत सिंह सिद्धू, शिरोमणि अकाली दल बादल के अध्यक्ष स. सुखबीर सिंह बादल, आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष भगवंत मान समेत सभी राजनीतिक दलों को प्रैस के माध्यम से कहना चाहता हूं कि पंजाब की विरासत में सर्व धर्मों का सम्मान है इसलिए पंजाब विधानसभा में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिलना चाहिए। शाही इमाम ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को चाहिए कि सुजानपुर विधानसभा, अमरगढ़ विधानसभा सहित पंजाब में आबादी के लिहाज से छ: विधानसभा मुस्लिम समाज को दें तांकि मुसलमानों की राज्यभर में जो समस्याएं पिछलों कई दशकों से लटक रहीं है वो हल हो सकें। शाही इमाम ने कहा कि हमें यह जान कर खुशी हुई है कि सुजानपुर विधानसभा से अलादीन और अमरगढ़ विधानसभा से अब्दुल सत्तार लिबड़ा कांग्रेस पार्टी की टिकट मांग रहे है जो कि इनकों दी जानी चाहिए। शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उसमान लुधियानवीं ने कहा कि अल्पसंख्यकों को सिर्फ कब्रिस्तान ही नहीं चाहिए बल्कि शिक्षित संस्थान और रोजगार के अवसर मिलने चाहिए। शाही इमाम ने अपील की है कि शिरोमणी अकाली दल बादल, कांग्रेस पार्टी, आम आदमी पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दलों से जुड़े हुए अल्पसंख्यक नेताओं को चाहिए कि वह अपनी-अपनी पार्टी के चुनाव मेनिफेस्टों में अल्पसंख्यकों के लिए पंजाब के सभी शहरों में इस्लामी हाई स्कूल, डिग्री कॉलेज बनवाने के साथ-साथ युवाओं के लिए नौकरियां दिए जाने का वादा करवाएं। शाही इमाम ने कहा कि यह बहुत दु:ख की बात है कि सिर्फ कब्रिस्तानों के लिए जगह दिए जाने की बात कर के प्रदेश के लगभग 35 लाख अल्पसंख्यकों की मूल समस्याओं को नजर अंदाज किया जा रहा है। उन्होनें कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अल्पसंख्यकों की कुर्बानियां किसी से कम नहीं है। शाही इमाम ने कहा कि मरने के बाद दो गज जमीन हासिल करना आसान हो गया लेकिन जीने के लिए कोई सहारा देने को तैयार नहीं।