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युवक की आँख के पीछे से नाक में घुसा स्टोन कटिंग मशीन का टुकड़ा

मित्तल हॉस्पिटल की कान-नाक-गला रोग विशेषज्ञ डॉ रचना जैन व नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ विनीत चण्डक ने की नाक की एण्डोस्कॉपिक सर्जरी

अजमेर । मित्तल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर, अजमेर के कान-नाक-गला रोग विशेषज्ञ डॉ. रचना जैन एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ विनीत चण्डक ने नाक की एण्डोस्कोपिक सर्जरी कर युवक की कनपटी को भेद कर आँख के पीछे से नाक में घुसा स्टोन कटिंग मशीन का टुकड़ा बाहर निकाला। इस सर्जरी में युवक की एक आँख की रोशनी जाने का बड़ा खतरा था वहीं सर्जरी में उसके चेहरे का सौंदर्य भी बिगड़ सकता था। डॉ. जैन व डॉ. चण्डक की टीम ने जाँच के बाद सर्जरी को कुछ इस तरह प्लान किया कि युवक के चेहरे का सौंदर्य भी बना रहा और युवक की आँख की रोशनी भी बचाई जा सकी।
जानकारी की अनुसार पृथ्वीपुरा, बाँसवाड़ा का रहने वाला अनिल नाम का 22 वर्षीय युवक भिनाय के राममालिया स्थित पत्थर की खान में काम करते हुए हादसे का शिकार हुआ और कनपटी में स्टोन कटिंग मशीन का टुकड़ा घुस जाने से लहूलुहान अवस्था में मित्तल हॉस्पिटल पहुँचा। युवक की गंभीर अवस्था को देखते हुए उसकी आवश्यक जाँच करवाई गई तो पाया गया कि स्टोन कटिंग मशीन का टुकड़ा युवक के कनपटी को भेद कर आँख के पीछे से नाक में घुसा हुआ था।
कान-नाक-गला रोग विशेषज्ञ डॉ. रचना जैन के अनुसार स्टोन कटिंग मशीन का यह टुकड़ा ढाई सेंटीमीटर लंबा व एक सेंटीमीटर गोलाई का था जो कि कनपटी को भेदता हुआ आँख के पास से अन्दर घुस कर आँख के नीचे होता हुआ नाक में जाकर अटक गया था। युवक की स्थिति अत्यन्त ही नाजुक थी। युवक को दिखना कम हो रहा था संभवतया ऐसा हादसे में लगी चोट से आई सूजन व अन्य कारण से हो, युवक की सीटी स्केन जाँच में देखकर स्टोन कटिंग मशीन के टुकड़ें की सही अवस्था को जाँचा गया और तुरंत ही नाक के रास्ते एण्डोस्कोपिक सर्जरी का निर्णय किया गया। इस सर्जरी में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विनीत चण्डक, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉ. राजीव पाण्डे, रेडियालॉजिस्ट डॉ. गरिमा खींची व नर्सिंग स्टाफ यूसुफ, ओमप्रकाश, भगवान आदि का सहयोग रहा।
डॉ. विनीत चण्डक ने बताया कि ईश्वर की मेहरबानी ही कही जायेगी कि इस हादसे में युवक की आँख तथा आँख की रोशनी सुरक्षित व संरक्षित रह सकी। उन्होंने बताया कि युवक के कथन को माने तो वह पत्थर काटने की जिस मशीन पर काम कर रहा था उसकी चेन टूटने पर स्टोन कटिंग मशीन का टुकड़ा नजदीकी चट्टान से टकराकर दाहिने आँख के बहुत ही करीब कनपटी में घुस गया। स्टोन कटिंग मशीन का यह टुकड़ा अंदर भी आँख को सुरक्षित रखते हुए आँख व नाक के बीच में फंस गया। यह टुकड़ा मामूली सा भी दांये बायें या ऊपर या नीचे की तरफ होता तो युवक की आँख को ही भेद देता। इस स्थिति में युवक के चेहरे पर सर्जरी से बचते हुए इसे एण्डोस्कॉपी के जरिए ही बाहर निकाला गया। युवक की आँख की रोशनी सुरक्षित है। कनपटी पर आया मामूली घाव वक्त के साथ भर जायेगा। युवक को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
निदेशक डॉ. दिलीप मित्तल ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर में एक ही छत के नीचे अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित ऑपरेशन थियेटर की उपलब्धता एवं दक्ष व अनुभवी चिकित्सकों व स्टाफ की टीम भावना के कारण गंभीर अवस्था में पहुंचने वाले मरीजों को पूरी शिद्दत से संभाला जाता है। गौरतलब है कि मित्तल हॉस्पिटल में नवजात शिशु से संबंधित नियोनेटोलॉजिस्ट सहित सभी तरह की हार्ट, न्यूरो, यूरो, आंको, नेफ्रो, गैस्ट्रो, लेप्रोस्कोपिक आदि सुपरस्पेशियलिटी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में कोरोना के तीसरे स्वरूप ऑमिक्रोन के कम्युनिटी स्प्रेड के दौर में मित्तल हॉस्पिटल पहुंचने वाले रोगियों को पूरी टीम भावना से संभाल की जा रही है। इस दौरान कोविड नियमों का पालन मरीज और परिवारजन के लिए पूर्ण रूप से अनिवार्य है।
ज्ञातत्व है कि मित्तल हॉस्पिटल केन्द्र (सीजीएचएस), राज्य सरकार (आरजीएचएस) व रेलवे कर्मचारियों एवं पेंशनर्स, भूतपूर्व सैनिकों (ईसीएचएस), ईएसआईसी द्वारा बीमित कर्मचारियों एवं सभी टीपीए द्वारा उपचार के लिए अधिकृत है।
संवाद , मोहम्मद नज़ीर क़ादरी