धार्मिक आजादी पर डाका नही डालने देंगे शाही इमाम पंजाब का ऐलान
लुधियाना। (डीवीएनए)कर्नाटका के एक कॉलेज में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने पर कट्टरपंथी संगठनों की ओर से बीते दिनों एक अकेली मुस्लिम लडक़ी पर धावा बोलने की घटना के बाद आज पंजाब के लुधियाना में हजारों की संख्या में मुस्लिम बहनों-बेटियों ने स्वतंत्रता संग्राम में शामिल रही जमात मजलिस अहरार इस्लाम के अध्यक्ष व पंजाब के शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी की अगुवाई में शहर के प्रसिद्ध नामधारी शहीदी स्मारक से हिजाब मार्च शुरू किया जोकि मस्जिद अहरार ब्राउन रोड से सुभानी बिल्डिंग, शाहपुर रोड से जामा मस्जिद पहुंचा और फिर वहां से पुरानी जेल रोड होते हुए सिविल हस्पताल के समीप समाप्त हुआ।
मार्च में बड़ी संख्या में मुस्लिम छात्राएं और उनके परिवार की महिलाएं भी उपस्थित थी, मार्च में शामिल महिलाएं हमारी पहचान हमारा हक, गुंडागर्दी नहीं चलेगी, अल्लाह-हु-अकबर,हिंदू-मुस्लिम-सिख-इसाई,आपस में हैं भाई-भाई के नारे लगा रही थी। इस अवसर पर संबोधन करते हुए शाही इमाम पंजाब मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी ने कहा कि आज पंजाब और लुधियाना की यह बेटियां और भाई अपनी उस बहादुर कर्नाटकी बहन को सलाम करने के लिए एकत्रित हुए हैं जिसने दर्जनों गुंडों के सामने बहादुरी और हिम्मत दिखा कर दुनिया भर की बेटियों को नया हौसला दिया है। शाही इमाम ने कहा कि मुस्कान ने जो अल्लाह हु अकबर का नारा लगाया उसकी आवाज आज दुनिया भर में सुनी जा रही है।
शाही इमाम ने कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले कान खोल कर सुन लें हम अपनी मजहबी आजादी पर किसी को भी डाका नहीं डालने देंगे। शाही इमाम ने कहा कि हमारे देश का संविधान सबको अपने-अपने धर्म पर चलने की आजादी देता है, बुर्खा या हिजाब पहन कर सदियों से मुस्लिम बच्चियां देश में पढ़ती आ रही है फिर आज अचानक ऐसा क्या हो गया, हुआ कुछ नही सिर्फ सस्ती सियासत का बहाना है। शाही इमाम ने कहा कि देश में अलग-अलग संप्रदाय है और उनको मानने वाले अपना चोला पहन कर पढऩे जाते है तो फिर हिजाब पर यह तमाशा क्यों।
उन्होने कहा की दरअसल यह चंद लोग देश की जनता को धर्म के नाम पर अलग-अलग करके हमेशा के लिए सत्ता में रहना चाहते है लेकिन भारत में कभी ऐसा होने वाला नहीं है क्योंकि यहां सदियों से सभी धर्मों के लोग आपस में मिल जुल कर रहते हैं। शाही इमाम पंजाब मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी ने कहा कि संप्रदायक ताकतें जितनी नफरत फैलने की कोशिश करती हैं लोकतंत्र उतना ही मजबूत होता जा रहा है।