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के.यू.चि.अ.प. संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य पर संगोष्ठी का आयोजन

नई दिल्ली / मुंबई,: केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (के.यू.चि.अ.प.), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (क्षे.यू.चि.अ.सं.), मुंबई ने मानसिक स्वास्थ्य पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का विषय “यूनानी चिकित्सा पद्धति के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य देखभाल” था।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रो. आसिम अली ख़ान, महानिदेशक, के.यू.चि.अ.प., आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने मानसिक बीमारी की मूक महामारी की ओर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया जिसे कोविड-19 महामारी ने उजागर कर दिया है। उन्होंने के.यू.चि.अ.प. के तहत विभिन्न संस्थानों की अनुसंधान गतिविधियों की योजना इस प्रकार बनाने का आग्रह किया जिस से यूनानी चिकित्सा मानसिक स्वास्थ्य के रखरखाव और जागरूकता के लिए एक प्रमुख योगदानकर्ता बन सके। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य आज राष्ट्रीय प्राथमिकता है इसलिए यूनानी चिकित्सा के लिए इस क्षेत्र में अपनी क्षमता का उप्योग करने और व्यापक मानसिक स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था प्रदान करने के लिए इस से बेहतर समय नहीं हो सकता है।

डॉ. निर्मला देवी, अनुसंधान अधिकारी प्रभारी, क्षे.यू.चि.अ.सं., मुंबई ने मानसिक बीमारी के किसी भी स्तर से पीड़ित लोगों की समस्याओं को कम करने के लिए एकीकृत मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली प्रदान करने हेतु सभी चिकित्सा प्रणालियों के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ. वर्षा दवानी, मुख्य मनोचिकित्सक, सेंट्रल अस्पताल, मुंबई, डॉ. अर्चना गडकरी, प्रमुख, मनोचिकित्सा विभाग, सेंट्रल अस्पताल, मुंबई और डॉ. ईसा नदवी, प्रोफेसर, एमआईजेटी तिब्बिया, मुंबई संगोष्ठी के वक्ता थे।

शोधकर्ताओं द्वारा पोस्टर और लेख प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को एक और वैज्ञानिक रूप दिया और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में के.यू.चि.अ.प., के शोध कार्य पर प्रकाश डाला।

डॉ. हुमैरा बानो, डॉ. निकहत शेख, डॉ. इरफान अहमद, मो. आदिल और संस्थान के अन्य अधिकारियों ने संगोष्ठी की कार्यवाही का आयोजन और प्रबंधन किया।